रुद्रप्रयाग, 17 नवंबर (Udaipur Kiran) । पंच केदारों में द्वितीय केदार के नाम से विश्वविख्यात भगवान मदमहेश्वर के कपाट आगामी 20 नवंबर को शुभ लगनानुसार वेद ऋचाओं के साथ शीतकाल के लिए बंद किए जाएंगे। भगवान मदमहेश्वर के कपाट बंद होने के बाद भगवान मदमहेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली अपने शीतकालीन गद्दी स्थल उखीमठ में स्थित ओंकारेश्वर मन्दिर के लिए रवाना होगी। इस बार 16 हजार से अधिक तीर्थ यात्रियों के पहुंचने से मदमहेश्वर धाम में तीर्थ यात्रियों के आंकड़ाें ने नया कीर्तिमान स्थापित किया है।
ओंकारेश्वर मन्दिर प्रभारी रमेश नेगी ने बताया कि द्वितीय केदार भगवान मदमहेश्वर के कपाट आगामी 20 नवंबर को शीतकाल के लिए बंद किये जायेंगे और कपाट बंद होने के बाद भगवान मदमहेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली धाम से रवाना होकर कून चट्टी, मैखम्बा, नानौ, खटारा, बनातोली यात्रा पड़ावों पर श्रद्धालुओं को दर्शन देते हुए प्रथम रात्रि प्रवास के लिए गौण्डार गांव पहुंचेगी। 21 नवंबर को मदमहेश्वर की चल विग्रह डोली गौण्डार गांव से रवाना होकर द्वितीय रात्रि प्रवास के लिए राकेश्वरी मन्दिर रासी पहुंचेगी। 22 नवंबर को डोली राकेश्वरी मन्दिर रासी से रवाना होकर उनियाणा, राऊंलैक, बुरूवा, मनसूना हिल स्टेशनों पर श्रद्धालुओं को आशीर्वाद देते हुए अंतिम रात्रि प्रवास के लिए गिरीया गांव पहुंचेगी। इस प्रकार विभिन्न यात्रा पड़ावों पर श्रद्धालुओं को दर्शन देते हुए डोली 23 नवंबर को शीतकालीन गद्दीस्थल उखीमठ स्थित ओंकारेश्वर मन्दिर में विराजमान होगी। यहां 24 नवंबर से भगवान मदमहेश्वर की पूजा विधिवत शुरू होगी। भगवान मदमहेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली के कैलाश से ऊखीमठ आगमन पर लगने वाले मदमहेश्वर मेले की तैयारियां मंदिर समिति व मेला समिति ने शुरू कर दी है।
आठ कुन्तल फूलों से सजाया जाएगा मंदिर
मंदिर समिति के अधिकारी डीएस भुजवाण ने बताया कि भगवान मदमहेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली के शीतकालीन गद्दी स्थल ओंकारेश्वर मंदिर आगमन पर इस मंदिर को लगभग आठ कुन्तल फूलों से सजाया जाएगा।
(Udaipur Kiran) / राजेश कुमार