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(अपडेट) 17वीं सदी तक पूरे संसार के लोग ज्ञान ग्रहण करने आते थे भारत, आज फिर उस ओर लौट रहा देश : मोहन भागवत 

कार्यक्रम में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन राव भागवत।
पौधरोपण करते राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन राव भागवत।
कार्यक्रम में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन राव भागवत।
कार्यक्रम में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन राव भागवत।

– शेर सिंह कार्की विद्यालय भवन का डाॅ भागवत ने किया लोकार्पण

– डाॅ भागवत ने विद्या भारती की शिक्षा पद्धति अपनाने पर जोर दिया

देहरादून, 17 नवंबर (Udaipur Kiran) । राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन राव भागवत ने कहा कि स्वतंत्रता सेनानी शेर सिंह कार्की की तपस्या और संकल्प से उनकी तपोभूमि मुवानी आज तीर्थ स्थल बन गया है। अब हम सबकी साझा जिम्मेदारी है कि इस पुनीत कार्य को आगे बढ़ाएं। 17वीं सदी तक विश्व गुरु भारत के अंदर संसार के लोग ज्ञान ग्रहण करने आते थे। कुछ समय तक हम अपने पद से भटक गए थे, अब हम फिर उस ओर लौट रहे हैं।

सरसंघचालक डाॅ भागवत अनंत मुकेश अंबानी सभागार में आयाेजित नवनिर्मित शेर सिंह कार्की विद्यालय भवन के लोकार्पण समाराेह काे संबाेधित कर थे। इस माैके पर भागवत ने चंदन का पौधा लगाकर हिमालय क्षेत्र में पर्यावरण संरक्षण का संदेश दिया। डाॅ भागवत ने कहा कि हम सबका सपना है कि देश अच्छा हो, लोग सुखी हों। इसके लिए सबका प्रयास जरूरी है। शेर सिंह कार्की ने 20 एकड़ जमीन वर्षों तक संघर्ष करके बचाए रखी और दूरस्थ क्षेत्र में महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए कार्य किया। शिक्षा के साथ स्वरोजगार उनका लक्ष्य था।

डॉ. भागवत ने देवभूमि को नमन करते हुए विद्या भारती की शिक्षा पद्धति अपनाने पर जोर दिया। सरसंघचालक ने कहा कि स्कूली शिक्षा केवल उन्हीं के लिए लाभदायक है, जो इसका उपयोग करना जानते हैं। यदि कोई इसका उपयोग करना नहीं जानता तो उसे इससे कोई विशेष लाभ नहीं होता। उन्होंने कहा कि ऐसे कई महान व्यक्ति उदाहरण हैं जिन्होंने स्कूली शिक्षा न मिलने के बावजूद समाज को महान दिशा दी है। उन्होंने कहा कि सभी को शिक्षा के लिए विद्या भारती के एजेंडे को बढ़ावा देना चाहिए। इससे व्यक्ति को न केवल अपने परिवार बल्कि समाज की देखभाल करने के लिए शिक्षा मिलती है। आरएसएस प्रमुख ने कहा कि यह संस्कार है और शिक्षा के मूल्य को समझना ही समाज को ताकत देता है। समाज महान और सर्वोपरि है।

आरएसएस प्रमुख ने कहा कि शिक्षा का उपयोग आम लोगों की भलाई के लिए करना चाहिए। इतिहास में कई महान व्यक्तियों ने स्कूली शिक्षा से वंचित रहने के बावजूद उच्च शिक्षित लोगों को रास्ता दिखाया है। दुनिया में कोई भी सरकार युवाओं को केवल 10 प्रतिशत ही नौकरियां दे सकती है। शेष नौकरियां और व्यवसाय समाज की ताकत व कौशल के प्रयोग से पैदा किए जा सकते हैं।

आरएसएस प्रमुख डाॅ भागवत ने कहा कि भारत राष्ट्र अतीत में समृद्ध रहा है। समाज की ताकत से भविष्य में भी ऐसा ही रहेगा। समाज ही है जो उद्देश्यपूर्ण जीवन जीना सिखाता है। उत्तराखंड तपोभूमि है, जहां हजारों ऋषिगण वर्षभर तपस्या करते हैं, लेकिन उनकी तपस्या का फल सदैव उनके आसपास रहने वाले अन्य लोगों को ज्ञान देता है।

भारतीय संस्कृति की शिक्षा के लिए वचनबद्ध है कार्की विद्यालय: कोश्यारी

महाराष्ट्र के पूर्व राज्यपाल व उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री भगत सिंह कोश्यारी ने कहा कि नवनिर्मित शेर सिंह कार्की विद्यालय दूरस्थ क्षेत्र में भारतीय संस्कृति की शिक्षा देने के लिए वचनबद्ध है। जल्द ही विद्यालय में छात्रावास भी बनेगा।

भविष्य में विश्वविद्यालय बनाने की योजना

कार्यक्रम में उत्तराखंड ओपन यूनिवर्सिटी के वीसी ओमप्रकाश सिंह नेगी ने सभी का आभार जताया। व्यवस्थापक श्याम अग्रवाल ने भविष्य की योजना बताई और कहा कि भारतीय संस्कारों और नई शिक्षा नीति को अंगीकार करते हुए एक विश्वविद्यालय स्थापित करनी है।

कार्यक्रम में क्षेत्र प्रचारक महेंद्र, प्रांत प्रचारक डा. शैलेंद्र, प्रांत कार्यवाह दिनेश सेमवाल, प्रांत प्रचार प्रमुख संजय, केंद्रीय सड़क एवं परिवहन मंत्री अजय टम्टा, विधायक बिशन सिंह चुफाल, सुरेश गड़िया, सुरेश सुयाल और रणजीत सिंह ज्याला आदि मौजूद थे।

(Udaipur Kiran) / कमलेश्वर शरण

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