सोनीपत, 17 नवंबर (Udaipur Kiran) ।
निरंकारी सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज ने कहा कि मानवीय गुणों, भक्ति और सर्वव्यापी परमात्मा की भक्ति में भक्त समर्पित हैं। भक्ति को जीवन के हर पहलू में शामिल कर प्रेम और सेवा के माध्यम से मानवता के कल्याण में योगदान दे रहे हैं।
गन्नौर-समालखा हल्दाना बॉर्डर पर आयोजित तीन दिवसीय समागम में लाखों श्रद्धालुओं ने भाग लिया। शनिवार रात मंगलकारी प्रवचनों की रसधारा प्रवाहित करते हुए सतगुरु माता जी ने प्रेम, सेवा और भक्ति भाव को जीवन का अभिन्न अंग बनाने का आह्वान किया।रविवार को दोपहर में सेवादल रैली हुई इसमें हजारों सेवादल के भाई बहन शामिल हुए।
सतगुरु माता जी ने कहा कि परमात्मा सर्वव्यापी और अजर-अमर हैं। भक्ति और ब्रह्मज्ञान के माध्यम से इस शक्ति को महसूस करते हैं। उन्होंने भक्ति को अलग से समय देने के बजाय जीवन के हर पल में समर्पित करने की प्रेरणा दी। संतों के संग और ध्यान (सुमिरन) को आत्मा की गहराई से जोड़ना माध्यम है।
प्रेरक कहानी के माध्यम से सतगुरु माता जी ने बताया कि हर व्यक्ति, चाहे अपरिचित ही क्यों न हो, हमारे लिए पड़ोसी है। सेवा के कार्य केवल दायित्व नहीं, बल्कि प्रेमपूर्ण कर्तव्य का उदाहरण हैं।
सतगुरु माता जी ने समुद्र की गहराई और शांति को सहनशीलता और विनम्रता का प्रतीक बताया। जैसे समुद्र सब कुछ समेट कर शांत रहता है, वैसे ही हमें अपने भीतर सहिष्णुता और विशालता विकसित करनी चाहिए।
रविवार को आयोजित सेवादल रैली में सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज ने कहा कि सेवा केवल कार्य नहीं, बल्कि यह जीवन का अनुशासन और संतुलन है। सेवादल की वर्दी को केवल बाहरी पहचान न मानें, भीतर के अहंकार को मिटाने और सेवा भाव को जागृत करना जानें।
सतगुरु माता जी ने कहा कि सेवा करते समय स्वार्थ या लालच नहीं होना चाहिए। चाहे लंगर सेवा हो, पार्किंग प्रबंधन, या सफाई कार्य, हर कार्य पूरी चेतना, सतर्कता और विनम्रता से किया जाना चाहिए। माता जी ने कहा कि सेवा, सिमरन और सत्संग का जज्बा समाज में अनुकरणीय योगदान देता है। सेवादल के सदस्य घर-परिवार और समाज के बीच सामंजस्य बनाकर आदर्श जीवन का उदाहरण प्रस्तुत करते हैं। इस समागम ने श्रद्धालुओं को भक्ति, सेवा और आत्मचिंतन के माध्यम से जीवन को परमात्मा के प्रति समर्पित करने की प्रेरणा दी।
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(Udaipur Kiran) परवाना