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गुरुग्राम: संघ ने रखी स्वदेशी अभियान की आधारशिला: स्वामी रामदेव

फोटो नंबर-04: गुरुग्राम के बुढेड़ा स्थित एसजीटी यूनिवर्सिटी में भारतीय शिक्षण मंडल द्वारा आयोजित किए गए त्रिदिवसीय अखिल भारतीय शोधार्थी सम्मेलन विविभा-2024 के समापन पर योग का अभ्यास कराते स्वामी रामदेव।
फोटो नंबर-05: भारतीय शिक्षण मंडल द्वारा आयोजित किए गए त्रिदिवसीय अखिल भारतीय शोधार्थी सम्मेलन विविभा-2024 के समापन पर संबोधित करते भारतीय नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश कुमार त्रिपाठी।

-मूल की ओर लौटो के उद्घोष के साथ विविभा-2024 का समापन

गुरुग्राम, 17 नवंबर (Udaipur Kiran) । गुरु द्रोण की नगरी गुरुग्राम में भारतीय शिक्षण मंडल द्वारा आयोजित किए गए त्रिदिवसीय अखिल भारतीय शोधार्थी सम्मेलन विविभा-2024 के अंतिम दिन योग गुरु स्वामी रामदेव ने शोधार्थियों को योगाभ्यास करवाया। उन्होंने दैनिक जीवन से लेकर राष्ट्र निर्माण तक में योग के महत्व पर प्रकाश डाला।

स्वामी रामदेव ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की प्रशंसा करते हुए कहा कि जो लोग स्वदेशी अभियान को प्रारंभ करने का श्रेय लेते हैं, मैं उन्हें बताना चाहता हूं कि स्वदेशी अभियान की आधारशिला संघ ने बहुत पहले रख दी थी। मुझे भी इस अभियान को आगे बढ़ाने का मौका मिला। युवा शोधार्थियों को सम्बोधित करते हुए भारतीय नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश कुमार त्रिपाठी ने भारत केंद्रित शोध को प्रोत्साहित कर युवाओं में शोध कार्य के प्रति जागरुकता लाने के भारतीय शिक्षण मंडल युवा आयाम के इस प्रयास की सराहना की। एडमिरल त्रिपाठी ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षानीति के निर्माण में भारतीय शिक्षण मंडल की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। अपने उद्बोधन में उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा और विकसित भारत की संकल्पना देश के प्रत्येक नागरिक की प्राथमिकता होनी चाहिए। 15 नवंबर से 17 नवंबर तक आयोजित हुए इस कार्यक्रम में देश भर से आए 1200 शोधार्थियों को देशभर से आए विषय विशेषज्ञों से मुक्त चर्चा का अवसर मिला।

समापन समारोह में भारतीय शिक्षण मंडल के अखिल भारतीय अध्यक्ष सच्चिदानंद जोशी, एवं भारतीय शिक्षण मंडल के अखिल भारतीय कार्यकारी अध्यक्ष प्रो. सुहास पेडनेकर ने भी अपने विचार रखे। भारतीय शिक्षण मंडल के अखिल भारतीय संगठन मंत्री बी. आर. शंकरानंद ने विजन 2047 के लक्ष्य को मूर्त रूप में लाने के लिए युवाओं की प्रमुख भूमिका बताई। उन्होंने कहा आध्यात्मिक शक्ति की नींव पर भारत को विकसित बनाना है, तभी वह एक श्रेष्ठ भारत बन पाता है। युवा अपने पांच मूल कार्यों पर केंद्रित होकर पूर्ण समर्थन और समर्पण भाव से कार्य करें। हमारा पहला काम है अनुसंधान। एक विद्यालय की वेशभूषा या पोशाक किस रंग की होनी चाहिए यह भी एक शोध का विषय है जिस पर भी शोध की आवश्यकता है। इसीलिए शोध, शिक्षण मंडल का प्रमुख कार्य है। दूसरा महत्वपूर्ण कार्य है पाठ्यक्रम निर्माण। तीसरा महत्वपूर्ण कार्य है प्रकाशन और चौथा है शिक्षण विधि। हमारा अंतिम और पांचवां कार्य है शिक्षक शिक्षा और हमारे सभी पांच कार्य बहुत ही महत्वपूर्ण है।

एसजीटी विश्विद्यालय के अध्यक्ष डॉ. मनमोहन चावला ने शोधार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि विविभा-2024 से पूरे भारत से आए हुए शोधार्थियों अत्यन्त लाभ मिला है। भारतीय शिक्षण मंडल के अखिल भारतीय महामंत्री डॉ. भरत शरण सिंह ने आभार व्यक्त किया, जबकि अतिथि परिचय भारतीय शिक्षण मंडल के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख डॉ. संजय पाठक ने एवं मंच संचालन डॉ. चंचल भारद्वाज किया।

(Udaipur Kiran) हरियाणा

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