हिसार, 14 नवम्बर (Udaipur Kiran) । बरवाला थाना क्षेत्र के गांव बनभौरी में नवरात्रि पर लगने वाले मेले में ठेकेदार सतीश द्वारा अपनी दुकानों पर प्रसाद बेचने की दिहाड़ी पर बुलाए गए 11 प्रवासी मजदूरों के साथ हुई बर्बरता और अवैध वसूली का मामल प्रकाश में आया था। इस मामले में बरवाला थाने में दर्ज मुकदमे में मुख्य नामजद आरोपी ठेकेदार सतीश की पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट में दायर अग्रिम जमानत याचिका काे गुरुवार काे खारिज कर दिया गया है।
पीड़ित मजदूरों की तरफ से पैरवी कर रहे एडवोकेट बजरंग इंदल ने आज बताया कि ठेकेदार सतीश ने 14 अक्टूबर 2024 को भी अतिरिक्त सत्र न्यायालय में भी अग्रिम जमानत याचिका लगाई थी, जिसे 18 अक्टूबर को एडीजे ईशा खत्री की कोर्ट से खारिज हो गई थी। जेल में बंद आरोपी बसाऊ की भी जमानत याचिका एडीजे डॉक्टर गगनदीप मित्तल की कोर्ट से खारिज हो चुकी है। एडवोकेट इंदल ने आशा व्यक्त्त करते हुए कहा कि मुख्य नामजद आरोपी की दो बार अग्रिम जमानत याचिका खारिज होने के बाद पुलिस भी इस मामले की जांच में तेजी लाकर फरार चल रहे बाकी सभी आरोपियों के गिरफ्तारी के लिए दबिश दे सकती है।
पीड़ित प्रवासी मजदूरों की तरफ से आंदोलन चलाने वाले संतलाल अंबेडकर, अमित जाटव व प्रदीप यादव ने बताया कि गांव बनभौरी में नवरात्रि पर लगने वाले मेला की समाप्ति के बाद दिहाड़ी पर आए 11 प्रवासी मजदूरों ने ठेकेदार सतीश से अपनी दिहाड़ी मांगी थी। ठेकेदार ने बिजनेस में घाटा बताकर दिहाड़ी देने से मना कर दिया और उल्टा मजदूरों पर चोरी का इल्जाम लगा दिया। बात बिगड़ने पर ठेकेदार सतीश और उसके साथियाें ने मजदूरों को बंधक बनाकर उनके घरवालों से फोन कर पांच लाख रुपये की डिमांड रखी। ठेकेदार और उसके साथियाें की बर्बरता से डरे सहमे मजदूरों के परिजनों ने यूपी और उत्तराखंड से ठेकेदार के पास फोन पर पांच-पांच हजार रुपये ऑनलाइन भेज दिए। इसके बाद निकटवर्ती यूपी के एक थाने में पीड़ित मजदूरों के परिजनों ने इस घटना की सूचना दी।
पीड़ित मजदूरों को छुड़ाने के लिए इन मजदूरों के परिजन हिसार आए और भीम आर्मी की टीम के साथ गांव बनभौरी में घटनास्थल ठेकेदार सतीश के टेंट हाउस पर बने कमरे पर पहुंचे। मौके पर बरवाला थाने की पुलिस भी आ गई। बंधक मजदूरों को छुड़ाकर इन्हें पुलिस ने अस्पताल में भर्ती करवाया था। पुलिस ने 10 अक्टूबर को पीड़ित मजदूर ओमपाल की शिकायत पर ठेकेदार सतीश, उसके बेटे अमन, सेवाराम, राजबीर, राजेंद्र, बसाऊ सहित 10 अन्य के खिलाफ नामजद केस दर्ज किया था। इस मामले में पुलिस ने चार आरोपियों को गिरफ़्तार कर जेल भेज दिया था, जबकि बाकी आरोपी फरार हो गए थे।
इस प्रकरण में विशेष बात यह रही कि 10 अक्टूबर को पीड़ित मजदूरों की शिकायत पर दर्ज हुई एफआईआर में समझौते का दवाब बनाने के लिए आरोपियों के पक्ष में खड़ी होकर बरवाला थाने की एक महिला पुलिसकर्मी ने भी इन मजदूरों के खिलाफ 11 अक्टूबर को छेड़छाड़ और स्नेचिंग की धाराओं में केस दर्ज करवा दिया। मजदूरों के साथ अन्याय होता देख भीम आर्मी के नेताओं संतलाल अंबेडकर, अमित जाटव, प्रदीप यादव व पीड़ितों के परिजनाें के साथ प्रदर्शन के बाद पुलिस ने जांच करके चार दिन बाद 15 अक्टूबर को महिला पुलिसकर्मी की एफआईआर को खारिज कर दिया था।
(Udaipur Kiran) / राजेश्वर