गांधीनगर, 14 नवंबर (Udaipur Kiran) । राज्य सरकार ने जमीन के वास्तविक क्रेता के मामले में भूमि के मूल्यांकन के आधार पर प्रीमियम वसूली के मौजूदा शक्ति प्रत्यायोजन में बदलाव किया है। अब 5 करोड़ रुपये तक के भूमि के मूल्यांकन पर प्रीमियम वसूल करने की मंजूरी के लिए जिला कलेक्टर को शक्तियां सौंपी गई हैं। राज्य में मौजूदा नियमों के अनुसार जिस भूमि का मूल्यांकन 50 लाख रुपये से अधिक होता है, उस मामले में वास्तविक क्रेता को अनिवार्य तौर पर राज्य स्तर से मंजूरी लेनी पड़ती है। राज्य सरकार की ओर से जारी विज्ञप्ति में इसकी जानकारी दी गई है।
राज्य में जमीन के बोनाफाइड परचेजर (वास्तविक क्रेता) के मामले में जिला और राज्य स्तर पर भूमि के कृषि से कृषि और कृषि से गैर-कृषि के उपयोग परिवर्तन की प्रक्रिया के आवेदन की मंजूरी में तेजी लाने के लिए इसे एक महत्वपूर्ण निर्णय माना जा रहा है। सरकार के इस निर्णय से क्रेताओं के आवेदनों का शीघ्र निपटारा होगा। मौजूदा समय में इन आवेदनों की अधिक संख्या और उसके परिणामस्वरूप मंजूरी की प्रक्रिया के विभिन्न चरणों में आवेदनों पर विचार करने में अधिक समय लगता था। इस सम्पूर्ण प्रक्रिया को कम करते हुए राज्य सरकार ने अधिकारों के विकेंद्रीकरण के उद्देश्य से महत्वपूर्ण निर्णय किया है। राज्य सरकार ने अपने ‘मिनिमम गवर्नमेंट, मैक्सिमम गवर्नेंस’ के विजन को चरितार्थ करने के लिए भूमि के मूल्यांकन के आधार पर प्रीमियम वसूल करने की मंजूरी के लिए शक्तियों के प्रत्यायोजन में बदलाव करने का यह निर्णय किया है। मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल के इस निर्णय के परिणामस्वरूप बोनाफाइड परचेजर्स के आवेदनों का शीघ्रता से निपटारा होने से यह पूरी कार्यवाही तेजी से संपन्न होगी, साथ ही विकास प्रक्रिया को भी गति मिलेगी।
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(Udaipur Kiran) / बिनोद पाण्डेय