शिमला, 14 नवंबर (Udaipur Kiran) । शिमला के संजौली के चर्चित मस्जिद मामले में प्रतिवादी बनने की मांग कर रहे संजौली के स्थानीय लोगों को काेर्ट से झटका लगा है। शिमला की जिला काेर्ट में गुरुवार को मामले की सुनवाई हुई। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश प्रवीण शर्मा की काेर्ट ने स्थानीय लोगों की ओर से मामले में प्रतिवादी बनाने के आवेदन को खारिज कर दिया है। पिछली सुनवाई में काेर्ट ने स्थानीय लोगों के आवेदन पर दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रखा था। काेर्ट ने मामले में सुनवाई की अगली तारीख 18 नवंबर को निर्धारित की है।
मुस्लिम वेलफेयर सोसायटी के अधिवक्ता विश्व भूषण ने बताया कि काेर्ट ने स्थानीय लोगों को मामले में पार्टी बनाने के आवेदन को ख़ारिज कर दिया है। काेर्ट का मानना है कि स्थानीय लोगों का इस मामले को लेकर काेर्ट में आने का कोई औचित्य नहीं है। उन्होंने कहा कि मुस्लिम वेलफेयर सोसायटी की तरफ से दायर याचिका में नगर निगम आयुक्त कोर्ट के मस्जिद के अवैध हिस्से को गिराने के आदेश को चुनौती दी गई है। नगर निगम आयुक्त कोर्ट ने ऐसे शख्स को अवैध निर्माण गिराने के लिए अधिकृत किया है, जो कि मस्जिद कमेटी का पदाधिकारी ही नहीं है। उन्होंने कहा कि उनकी याचिका की मेंटेबिलिटी पर काेर्ट 18 नवंबर को फैसला सुनाएगी।
दरअसल, संजौली की मस्जिद में अवैध निर्माण के मुद्दे पर भारी बवाल हुआ है। सुर्खियों में रहने वाली इस विवादित चार मंजिला मस्जिद में अवैध निर्माण को लेकर बीते 5 अक्टूबर को नगर निगम के कोर्ट में सुनवाई हुई। नगर निगम आयुक्त भूपेंद्र अत्री ने बीते 5 अक्टूबर को मस्जिद के अवैध निर्माण को लेकर सुनवाई करते हुए मस्जिद की तीन मंजिलों को अवैध ठहराया और मस्जिद कमेटी को दो माह के भीतर इन्हें ध्वस्त करने के आदेश दिए। इन आदेशों की अनुपालना करते हुए मस्जिद कमेटी ने अवैध हिस्से को गिराने का काम चला रखा है और मस्जिद का छत हटा दिया गया है। इस मामले की अगली सुनवाई नगर निगम आयुक्त कोर्ट में 21 दिसंबर को रखी गई हैं।
संजौली की विवादित मस्जिद का मामला हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट भी पहुंच गया है। संजौली के स्थानीय लोगों की तरफ से दायर याचिका में हाई कोर्ट के न्यायाधीश संदीप शर्मा ने नगर निगम आयुक्त को आठ हफ्ते के भीतर फैसला सुनाने के आदेश दिए हैं।
उल्लेखनीय है कि संजौली मस्जिद विवाद बीते सितंबर महीने से लगातार चर्चा में है। इस मामले को लेकर शिमला में हिंदू समाज के लोग इकट्ठा होकर मस्जिद तोड़ने के लिए आंदोलन किए। यह विवाद तब सामने आया जब मल्याणा क्षेत्र में विक्रम सिंह नाम के एक स्थानीय शख्स के साथ कुछ लोगों ने मारपीट की थी। इस मारपीट को लेकर विक्रम ने ढली पुलिस स्टेशन में एफआईआर दर्ज करवाई थी। आरोप है कि मारपीट को अंजाम देकर आरोपित मस्जिद में छिप गए। इसके बाद हिंदू संगठनों ने संजौली मस्जिद के खिलाफ प्रदर्शन किया और अवैध बताकर मस्जिद को गिराने की बात कही। देखते ही देखते ये मामला और तूल पकड़ लिया।
—————
(Udaipur Kiran) / उज्जवल शर्मा