Madhya Pradesh

टेलीकॉम इंजीनियर को घर में 6 घंटे रखा गया डिजिटल अरेस्ट , पुलिस ने किया रेस्क्यू

टेलीकॉम इंजीनियर डिजिटल अरेस्ट ,

भोपाल, 13 नवंबर (Udaipur Kiran) । राजधानी भोपाल में चार दिन के अंदर डिजिटल हाउस अरेस्ट की दूसरी घटना सामने आई है। साइबर क्रिमिनल्स ने टेलीकॉम कंपनी के इंजीनियर को छह घंटे तक उनके ही घर में डिजिटली कैद रखा। उन्हें डराया और धमकाकर एक कमरे में निगरानी में रखा गया। बुधवार दोपहर क्राइम ब्रांच ने उन्हें और उनके परिवार को घर से बाहर निकाला। इंजीनियर और उनका परिवार इस कदर घबराया हुआ था कि साइबर क्रिमिनल्स का वीडियो कॉल डिस्कनेक्ट होने के बाद भी वे घर से बाहर नहीं निकले। ठगों ने उनसे 24 घंटे उनकी निगरानी में रहने के लिए कहा था। उनके मोबाइल पर किसका कॉल आ रहा था, ठगों को इसका तक पता चल रहा था। इस वजह से वे किसी का कॉल उठा नहीं पा रहे थे।

एडिशनल डीसीपी क्राइम ब्रांच शैलेंद्र सिंह चौहान ने बताया कि करारिया के गायत्री नगर में रहने वाले प्रमोद कुमार (38) प्राइवेट टेलीकॉम कंपनी में फील्ड इंजीनियर हैं। मंगलवार शाम 4.15 बजे उनके मोबाइल पर कॉल आया। कॉल करने वाले ने खुद को ईओडब्लू का अधिकारी बताकर कहा कि आपके नंबर से अलग-अलग बैंक खातों में बड़े पैमाने पर ऑनलाइन रकम का लेनदेन हुआ है। आपका नंबर बंद नहीं होना चाहिए। मैं मुंबई से हूं। नंबर बंद करने की हालत में भोपाल से गिरफ्तारी की जाएगी। ठगों को प्रमोद के मोबाइल में सेव कई जानकारियां पहले से थीं।

उन्होंने बताया कि पहला कॉल डिस्कनेक्ट होने के कुछ ही देर बाद प्रमोद को दूसरे नंबर से वीडियो कॉल आया। कॉल रिसीव करते ही स्क्रीन पर पुलिस यूनिफॉर्म में तीन लोग दिखे। उन्होंने खुद को मुंबई क्राइम ब्रांच का अधिकारी बताया। कहा कि आपके नंबर से एक व्यक्ति से फिरौती मांगी गई है। प्रमोद ने अपना पक्ष रखना चाहा तो उसे धमकाया गया। कहा कि आपने जो जुर्म किया है, इसके लिए 3.50 लाख रुपये का फाइन और दो साल जेल की सजा है। ठगों ने प्रमोद से बातचीत करते हुए उनसे उनकी पूरी जानकारी हासिल की। इस बीच उनके मोबाइल पर वेटिंग पर जो कॉल आ रहे थे, वे भी ठगों को पता होते थे कि किसके कॉल हैं। इससे प्रमोद और भी घबरा गए थे।

ठगों ने उनसे कहा कि हम स्थानीय पुलिस की मदद से आपको गिरफ्तार करने वाले थे। भले आदमी लग रहे हो। बचना चाहते हो तो हमारी निगरानी में 24 घंटे तक रहना होगा। इस पर उन्होंने ने हामी भर दी। आरोपियों के कहने पर खुद को एक कमरे में बंद कर लिया। रात 11.30 बजे तक ठगों की निगरानी में रहे। बाद में आरोपियों ने खुद कॉल डिस्कनेक्ट कर दिया।

डर की वजह से बुधवार सुबह 11.30 बजे तक प्रमोद ने किसी का कॉल पिक नहीं किया। ऑफिस की मीटिंग भी अटेंड नहीं की। तब उनके बॉस प्रदीप ने उन्हें कॉल किए। कई कॉल करने पर भी उन्होंने कॉल को पिक नहीं की। तब प्रदीप अनहोनी की आशंका के चलते उनके घर पहुंचे। प्रमोद ने गेट खोलने से इनकार कर दिया। ऐसे में उनके बॉस ने भोपाल क्राइम ब्रांच को मामले की सूचना दी। पुलिस ने मौके पर पहुंचकर प्रमोद को रेस्क्यू किया। उन्हें बताया कि उनके साथ फ्रॉड हो रहा था। पुलिस की समझाइश के बाद वे नॉर्मल हुए और पत्नी-बच्चों के साथ घर से बाहर निकले।

डेढ़ वर्ष में डिजिटल अरेस्ट का शिकार हुए मप्र के 53 लोग, 17 करोड़ रुपये की ठगी

इससे पहले साइबर पुलिस ने चार दिन पूर्व भोपाल में डिजिटल अरेस्ट हुए एक कारोबारी को ठगों की लाइव निगरानी से छुड़ाते हुए ठगी से बचाया था। ग्वालियर में भी एक रिटायर्ड अधिकारी डिजिटल अरेस्ट होकर भी ठगों का शिकार बनने से बच गए। इसी तरह से समझदारी दिखाते प्रदेश में अन्य 53 लोग भी ठगी से बच सकते थे। डेढ़ वर्ष में साइबर ठगों ने इनसे लगभग 17 करोड़ रुपये ठग लिए। हालांकि, इनमें लगभग पांच करोड़ रुपये पुलिस ने होल्ड करा दिए हैं, यानी हर जगह से सत्यापन के बाद यह राशि पीड़ितों को मिल जाएगी। डेढ़ करोड़ रुपये वापस मिल भी गए हैं।

एडीजी साइबर योगेश देशमुख का कहना है कि पीड़ित समय पर सूचना दें तो राशि को होल्ड कराना आसान हो जाता है। बता दें कि इस वर्ष मध्य प्रदेश में साइबर ठगी के प्रकरणों में ठगी गई राशि 385 करोड़ रुपये तक पहुंच गई है। जुलाई तक यह आंकड़ा 300 करोड़ रुपये था। इस वर्ष पहले 10 माह में साइबर अपराध की पांच लाख शिकायतें आई हैं, जो अब तक की सर्वाधिक हैं।

साइबर मुख्यालय के अधिकारियों ने बताया कि अभी तक 30 आरोपितों को गिरफ्तार किया गया है। ये आरोपित बिहार, राजस्थान, और दक्षिण भारत के अन्य राज्यों के हैं। अन्य आरोपितों की तलाश की जा रही है। ठगी के शिकार लोगों में डाक्टर, कालेज के प्रोफेसर, कंपनी सेक्रेटरी और व्यापारी भी शामिल हैं।

अधिकारियों ने बताया कि ठगी का सबसे आसान तरीका यह होता है कि ठग लोगों को उनके सिम से कोई अपराध होने की बात करते हैं। गिरफ्तारी और जेल भेजने का डर दिखाते हैं। इससे लोग डर जाते हैं। ठग बैंक से संबंधित पूरी जानकारी लेकर पैसा अपने खाते में ट्रांसफर कर लेते हैं। बिना डरे साइबर क्राइम हेल्पलाइन नंबर 1930 पर फोन करना चाहिए।

(Udaipur Kiran) तोमर

Most Popular

To Top