प्रयागराज, 13 नवम्बर (Udaipur Kiran) । इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) की ओर से की जा रही कई मामलों की जांच में देरी पर नाराजगी जताई है। न्यायालय ने पाया कि ईओडब्ल्यू की ओर से जांच मामलों को वर्षों तक लम्बित रखा जाता है।
न्यायालय ने महानिदेशक ईओडब्ल्यू (प्रशांत कुमार-1) को 16 दिसम्बर तक अपना व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया। कहा है कि बताएं शाखा जांच में क्यों पिछड़ रही हैं। साथ ही इसके कारण, जिम्मेदार व्यक्तियों तथा जांच के शीघ्र निपटारे के लिए उठाए गए कदमों के बारे में भी पूछा है। कोर्ट ने यूपी डीजीपी से भी जवाब मांगा है।
यह आदेश न्यायमूर्ति समित गोपाल की पीठ ने मोहम्मद हारुन की ओर से दायर अग्रिम जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया। मोहम्मद हारुन पर 2019 में भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मेरठ में कार्रवाई की गई। आरोपित ने अग्रिम जमानत याचिका दाखिल की। सुनवाई के दौरान न्यायालय ने पाया कि मामले की जांच लम्बे समय से लम्बित है। एक अन्य पीठ ने जांच अधिकारी को केस डायरी के साथ तलब किया और निर्देश दिया कि उसका आदेश उत्तर प्रदेश के डीजीपी को सूचित किया जाए। इस वर्ष मार्च में न्यायालय ने राज्य को इस मामले में जवाबी हलफनामा दायर करने के लिए चार सप्ताह का समय दिया था।
न्यायमूर्ति समित गोपाल की बेंच के सामने यह मामला सुनवाई के लिए आया तो उन्होंने पाया कि राज्य सरकार ने अभी तक कोई जवाब दाखिल नहीं किया है। राज्य के वकील को भी यूपी डीजीपी के कार्यालय से कोई जवाब नहीं मिला। न्यायालय ने पाया कि आर्थिक अपराध शाखा में जांच वर्षों तक लम्बित रहती है।
इस कारण हाईकोर्ट ने यूपी डीजीपी से भी हलफनामा मांगा है। सुनवाई के लिए 16 दिसम्बर की तिथि नियत की है। न्यायालय ने यह भी निर्देश दिया कि अगली तारीख तक या सक्षम न्यायालय के समक्ष पुलिस रिपोर्ट प्रस्तुत करने तक जो भी पहले हो, आवेदक की गिरफ्तारी की स्थिति में उसे निजी मुचलके पर अंतरिम अग्रिम जमानत पर रिहा किया जाएगा।
(Udaipur Kiran) / रामानंद पांडे