नई दिल्ली, 13 नवंबर (Udaipur Kiran) । जमीअत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद असद मदनी ने बुलडोजर कार्रवाई पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हुए इसे कानून के शासन और नागरिकों के मौलिक अधिकारों की सुरक्षा की दिशा में महत्वपूर्ण कदम बताया। उन्होंने कहा कि इंसाफ का खून करने वालों को करारा जवाब मिला है।
उन्होंने कहा, ”यह फैसला इस बात की याद दिलाता है कि किसी भी व्यक्ति को दोषी ठहराने का अधिकार अदालत का है, न कि प्रशासन का। जो सरकारी संस्थाएं और अधिकारी अदालत बनकर लोगों की संपत्ति तोड़ रहे थे, उन्हें इस बात पर ध्यान देना चाहिए कि ऐसे गैरकानूनी कार्य अस्वीकार्य हैं। मौलाना मदनी ने कहा कि बुलडोजर न्याय के घृणित कार्य से सरकारें भी बेदाग नहीं हैं, उम्मीद है कि सरकारें इस फैसले से सबक लेंगी।
मौलाना मदनी ने इस बात पर जोर दिया कि उन सभी लोगों को मुआवजा दिया जाना चाहिए जिनकी संपत्ति कानूनी प्रक्रिया के बिना ध्वस्त कर दी गई। उन्होंने कहा कि संविधान प्रत्येक नागरिक के मौलिक अधिकारों की रक्षा करता है और उनके खिलाफ किसी भी असंवैधानिक कार्रवाई को रोका जाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि जमीअत उलेमा-ए- हिंद ने हमेशा न्याय के सिद्धांतों और संवैधानिक अधिकारों की रक्षा के लिए आवाज उठाई है और इस फैसले के बाद हमारा संकल्प और मजबूत हो गया है कि हम इस उद्देश्य के लिए अपना संघर्ष जारी रखेंगे। मौलाना महमूद मदनी ने उन सभी वकीलों और अन्य याचिकाकर्ताओं को बधाई दी जिनके प्रयासों से न्याय का यह दीपक जलाया गया है।
(Udaipur Kiran) / अब्दुल वाहिद
(Udaipur Kiran) / Abdul Wahid