धमतरी, 12 नवंबर (Udaipur Kiran) । पोटाश बम के विस्फोट से सिकासेर दल में शामिल हाथी का बच्चा घायल हो चुका है, उसके उपचार करने में जुटे सीतानदी उदंती टाइगर रिजर्व के अधिकारी-कर्मचारी के दल को हाथियों ने दौड़ाया। हालांकि कोई भी अधिकारी-कर्मचारी घायल नहीं हुए। फिर भी घायल हाथी के उपचार के लिए अधिकारी-कर्मचारियों की टीम ने घायल हाथी के लिए महुआ, गुड़ व एंटीबायोजिक मिला लड्डू रखा है, जिसे खाकर वे ठीक होगा।
सीतानदी उदंती टाइगर रिजर्व के डिप्टी डायरेक्टर वरूण जैन ने बताया कि 12 नवंबर को विभाग के अधिकारी-कर्मचारियों की टीम घायल हाथी के ट्रेस करने में जुटे हुए थे। ड्रोन से एक बार ट्रैस हुआ, लेकिन दोबारा नहीं मिले। इस दौरान रेस्क्यू में लगे वन विभाग के अधिकारी-कर्मचारियों की टीम को हाथियों के दल ने दौड़ाया, लेकिन सभी सुरक्षित भाग निकले। इतना सब होने के बाद भी वन विभाग के अधिकारी-कर्मचारियों की टीम घायल हाथी के बच्चा को उपचार देने के लिए कक्ष क्रमांक 324 के पहाड़ बरबांधा व घुरावड़ सीतानदी क्षेत्र में महुआ, गुड़ और एंटीबायोटिक लगा लड्डू बनाकर रखा गया है, ताकि घायल हाथी इसे खाकर ठीक हो सके। सामान्य हाथी इसे खाते भी है, तो कोई नुकसान नहीं होगा। अधिकारी-कर्मचारियों की टीम शाम व रात तक तालाब के पास हाथियों के आने का इंतजार करते रहे, ताकि बंदूक के माध्यम से घायल हाथी पर एंटीबायोटिक का इंजेक्शन लगा सके।
एसडीओ से मांगा गया है स्पष्टीकरण
उदंती सीतानदी टाइगर रिजर्व के उपनिदेशक वरुण जैन ने बताया कि गरियाबंद सीतानदी वन परिक्षेत्र में पोटाश बम के विस्फाेट से हाथी के बच्चे के घायल होने की घटना के मामले में लापरवाही बरतने वाले एसडीओ से स्पष्टीकरण मांगा गया है। इसके लिए उसे दो दिनों की मोहलत दी गई है। पांच नवंबर 2024 को कक्ष क्रमांक 215 में ग्रामीणों द्वारा घायल अवस्था में एक हाथी के बच्चे की सूचना दी गई थी। सात नवंबर को कक्ष क्रमांक 301 में पोटाश बम से हाथी को मारने या भगाने के प्रयास की जानकारी वन परिक्षेत्र अधिकारी रिसगांव शैलेश बघेल द्वारा दी गई। घटना स्थल से रक्त और बम के टुकड़े बरामद कर फोरेंसिक जांच के लिए भेजे गए। आठ नवंबर को एन्टी पोचिंग टीम और स्क्वाड ने घटनास्थल का निरीक्षण किया, जहां पांच से सात किलोमीटर तक खून के निशान मिले। घटना के दिन एसडीओ अनुपस्थित मिले। हालांकि, घटनास्थल पर मौजूद होने के बावजूद संबंधित एसडीओ वहां अनुपस्थित पाए गए और घायल हाथी को ट्रेस करने में कोई सहायता नहीं की गई। उपनिदेशक ने नोटिस में बताया कि अगर एसडीओ ने अपने कार्य के प्रति सजगता बरती होती तो यह स्थिति उत्पन्न नहीं होती। इसके अलावा, उपनिदेशक का मोबाइल नंबर ब्लाक करने की शिकायत भी दर्ज की गई, जिससे हाथी की मदद के लिए आवश्यक टीमों को सूचित करने में विलंब हुआ। एसडीओ को दो दिनों के भीतर स्पष्टीकरण देने का निर्देश दिया गया है अन्यथा उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई करते हुए वेतन रोकने की चेतावनी दी गई है।
(Udaipur Kiran) / रोशन सिन्हा