पश्चिम चंपारण(बगहा),12 नवम्बर (Udaipur Kiran) ।भारत -नेपाल सीमा पर स्थित वाल्मीकि व्याघ्र परियोजना वन प्रमंडल 2 के वन क्षेत्र का निरीक्षण एवं जाएजा राष्ट्रीय व्याघ्र संरक्षण प्राधिकरण एनटीसीए की टीम के द्वारा प्रत्येक वर्ष की तरह इस वर्ष भी 14 नवंबर को करेगी।
वाल्मीकि नगर वन क्षेत्र के चुलभट्ठा और भेड़िहारी एंटी पोचिंग कैंप समेत वन क्षेत्र में भ्रमण कर वन्य जीव वन संपदा के विकास संरक्षण का जायजा उक्त टीम लेगी।
उल्लेखनीय है कि भारतीय क्षेत्र में कई टाइगर रिजर्व है।जिनमें एक नई तकनीक की शुरुआत की गई है। सभी टाइगर रिजर्व में सुरक्षा तंत्र की बहाली और सुधार के लिए एक कमेटी बनाई गई है, जो यह रणनीति तय करती है,कि शिकारियों की पकड़ वन क्षेत्रों में वन संपदा और वन्य जीव पर मजबूत ना हो सके। इस विंदु को ध्यान में रखकर भारत सरकार ने एक टीम गठित की है, जो टाइगर रिजर्व में जाकर जांच करती है ।
शिकार के अलावा अन्य कई चीजें भी हैं,जो टाइगर रिजर्व में वास कर रहें वन्यजीवों को खतरा पहुंचा सकती है। जिनमें कई प्रकार की मौसमी बीमारियां शामिल है।इस विंदु पर राज्य सरकारों की कितनी तैयारियां हैं। संसाधन कितने उपलब्ध कराए गए हैं।टाइगर रिजर्व में इस विंदु पर कितना बेहतर तरीके से कार्य किया जा रहा है।जानकारी हो ,कि वाल्मीकि टाइगर रिजर्व हिमालय के तराई क्षेत्र के जंगलों का अंतिम और आखरी सिरा है, अगर इसका बचाव नहीं किया गया तो बिहार वाइल्डलाइफ के नक्शे से टाइगर रिज़र्व का नामोनिशान मिट जाएगा।
बीते कुछ सालों के कार्यकाल में वाल्मीकि टाइगर रिजर्व का बेहतर विकास वन विभाग के कर्तव्यनिष्ठा को स्पष्ट दर्शाता है।इस सन्दर्भ में पूछे जाने पर वाल्मीकि नगर वन क्षेत्र रेंजर राजकुमार पासवान ने ऐसी सूचना की पुष्टि करते हुए कहा कि यह विभागीय प्रक्रिया है। जिसमें टीम द्वारा बाघों के संरक्षण और विकास और सुरक्षा की दिशा में किए गए कार्यों की जांच की जाती है। जिसमें वन मार्ग, ग्रास लैंड, पीने की पानी की उपलब्धता, सुरक्षा के इंतजामात आदि का बारीकि से जांच की जाती है।
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(Udaipur Kiran) / अरविन्द नाथ तिवारी