HimachalPradesh

 शामलात भूमि की खरीद फरोक्त पर अनिश्चितकाल के लिए प्रतिबंध की मांग 

नाहन, 12 नवंबर (Udaipur Kiran) । दलित शोषण मुक्ति मंच जिला सिरमौर की बैठक मंगलवार को नाहन ब्लॉक संयोजक जगदीश पुंडीर की अध्यक्षता में हुई। बैठक का संचालन मंच के जिला संयोजक आशीष कुमार ने किया, जिसमें मंच की गतिविधियों पर चर्चा की गई और विभिन्न मुद्दों पर विचार-विमर्श हुआ।

इस दौरान आशीष कुमार ने सुप्रीम कोर्ट के 3 अक्टूबर के फैसले का स्वागत करते हुए जातिवादी जेल मैनुअल पर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश के जेल मैनुअल में अभी भी कुछ जातिवादी प्रावधान मौजूद हैं, जिन्हें सुधारने की आवश्यकता है।

आशीष कुमार ने प्रदेश में शामलात भूमि के आवंटन में हो रहे भ्रष्टाचार पर भी गंभीर चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि यह हिमाचल प्रदेश विलेज कॉमन लैंड वेस्टिंग यूटिलाइजेशन एक्ट 1974 का उल्लंघन है, जो संविधान की 9वीं अनुसूची में शामिल है। उन्होंने बताया कि 2002 में इस एक्ट में संशोधन किया गया था, जिसमें राष्ट्रपति की स्वीकृति जरूरी थी, लेकिन बिना स्वीकृति के ही शामलात भूमि का आवंटन किया गया।

उन्होंने जोर देकर कहा कि 1950 से पहले जिन जमीनों का मामला था, उन्हें वापस किया जाना चाहिए था, जबकि सरकार की प्रॉपर्टी पर कब्जा करने की प्रक्रिया गलत है। आशीष कुमार ने यह भी कहा कि 1972 में जब सरकार में वेस्ट लैंड की तकसीम हुई थी, तो 25 प्रतिशत रकबा कॉमन यूज के लिए रखा गया था, लेकिन आज उसकी भी तकसीम की जा रही है, जो गैरकानूनी है।

इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि सरकार को यह जांच करानी चाहिए कि मैक्सिमम सीलिंग से अधिक लोगों को भूमि का मालिकाना हक क्यों दिया जा रहा है।

दलित शोषण मुक्ति मंच ने सरकार से यह मांग की कि 2027 के बाद शामलात भूमि की खरीद-फरोख्त पर अनिश्चितकाल के लिए प्रतिबंध लगाया जाए, जब तक कि इन भूमि का बंटवारा नियमानुसार न हो। मंच ने यह भी कहा कि हर भूमिहीन व्यक्ति को, चाहे वह किसी भी जाति या वर्ग का हो, शामलात भूमि में हिस्सेदारी मिलनी चाहिए।

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(Udaipur Kiran) / जितेंद्र ठाकुर

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