Haryana

राेहतक: चिकित्सा के क्षेत्र में रिसर्च का दृष्टिकोण रखना जरूरी : बंडारू दत्तात्रेय

फोटो कैप्शन 12आरटीके4 : पीजीआईएमएस में आयोजित दीक्षांत समारोह का द्वीप प्रज्जवलित कर शुभारम्भ करते राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय

राज्यपाल बोले, भारत पूर्ण रूप से विकसित बनाने में प्रत्येक व्यक्ति की भूमिका जरूरी, चकित्सक को जनता मानती है भगवान का रूप

पीजीआईएमएस में चतुर्थ दीक्षांत समारोह में राज्यपाल ने बतौर मुख्य अतिथि की शिरक्त, 5806 विद्यार्थियों को डिग्री की प्रदान

रोहतक, 12 नवंबर (Udaipur Kiran) । पंडित भगवत दयाल शर्मा स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय द्वारा मंगलवार को चतुर्थ दीक्षांत समारोह का आयोजन किया गया। इस अवसर पर हरियाणा के राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने बतौर मुख्यअतिथि शिरक्त की, जबकि विशिष्ट अतिथि के रूप में महानिदेशक सशस्त्र सेना चिकित्सा सेवाएं एवीएसएम वीएसएम सर्जन वाइस एडमिरल डॉ. आरती सरीन मौजूद रही, जिनको राज्यपाल द्वारा होनोरिस कौसा की डिग्री से सम्मानित किया गया। अतिथिगणों ने द्वीप प्रज्जवलित कर समारोह का शुभारम्भ किया। इस अवसर पर राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने कहा कि डॉक्टर को जनता भगवान का रूप मानती है। ऐसे में डॉक्टर को अपने पेशे को समाज सेवा का माध्यम मानना चाहिए।

उन्होंने कहा कि सेवा भाव से किए हुए कार्य से परिवार में अपने आप समृद्धि आती है। उन्होंने कहा कि चिकित्सा के क्षेत्र में रिसर्च के दृष्टिकोण को अपना जरूरी है, जो देश व समाज तरक्की के लिए जरूरी है। राज्यपाल ने चिकित्सा संस्थान से उत्तीर्ण 5806 विद्यार्थियों को डिग्री प्रदान की। उन्होंने कहा कि यह बड़े हर्ष और गौरव की बात है कि जिन विद्यार्थियों ने डिग्री प्राप्त की है उनमें 3484 लड़कियां हैं। इसके साथ ही जिन 32 विद्यार्थियों ने स्वर्ण पदक प्राप्त किए हैं, उनमें 23 लड़कियां हैं। उन्होंने कहा कि डिग्री हासिल करने का दिन छात्र जीवन में बहुत महत्वपूर्ण और यादगार दिन होता है यह कड़ी मेहनत का परिणाम है और इसके पीछे परिजनों का बहुत बड़ा योगदान है। उन्होंने कहा कि डिग्री हासिल करने से पहले केवल पढ़ाई का कार्य होता है लेकिन जिस दिन डिग्री हाथ में आ जाती है, उसी दिन से नया रास्ता तलाशना पड़ता है। उन्होंने कहा कि चिकित्सा एक सामान्य पेश ना होकर बहुत बड़ा पेशा है और समाज सेवा का सबसे बड़ा माध्यम है। राज्यपाल ने कहा कि स्वस्थ रहने के लिए स्वस्थ शरीर के साथ शांत चित्त और आत्मिक शांति जरूरी है। आत्मिक शांति तभी आती है जब स्वास्थ्य सही रहता है।

उन्होंने कहा कि भारतीय प्राचीन चिकित्सा जगत में आयुर्वेद का बहुत बड़ा योगदान है। नियमित रूप से योग, प्राणायाम और व्यायाम करके हम ना केवल निरोगी रह सकते हैं बल्कि हमारा मन भी शांत रहता है, जो आज के समय में सबसे जरूरी है। उन्होंने डिग्री हासिल करने वाले विद्यार्थियों का आह्वान किया कि वे केवल डिग्री हासिल करने तक अपने आप को संतुष्ट न माने, उनको निरंतर आगे बढऩा है और नई रिसर्च का दृष्टिकोण अपनाना है। नई रिसर्च के दृष्टिकोण से ही देश आगे बढ़ेगा और उसी से समाज में समृद्धि आएगी। उन्होंने विद्यार्थियों से आह्वान किया कि वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 2047 तक भारत को पूर्ण रूप से विकसित बनाने के लक्ष्य में अपनी भागीदारी सुनिश्चित करें।

(Udaipur Kiran) / अनिल

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