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देवउठनी एकादशी से मांगलिक कार्य प्रारंभ:  प्रदेश भर में रहेगी शादियों की धूम

देवउठनी एकादशी से मांगलिक कार्य प्रारंभ:  प्रदेश भर में रहेगी शादियों की धूम
देवउठनी एकादशी से मांगलिक कार्य प्रारंभ:  प्रदेश भर में रहेगी शादियों की धूम

जयपुर, 12 नवंबर (Udaipur Kiran) । कार्तिक महीने की शुक्ल पक्ष की प्रबोधिनी एकादशी मंगलवार को प्रदेशभर में हर्षोल्लास के साथ मनाई गई। मंगलवार को पौ-फटते ही ब्रह्म मुहूर्त में शंख बजाकर उसकी ध्वनि से भगवान विष्णु को नींद से जगाया गया। चार महीने बाद देवउठनी एकादशी पर भगवान के नींद से जागने के बाद मांगलिक कार्य शुरू हो गए। मंगलवार को अल सुबह से महापूजा और दान- पुण्य का सिलसिला दिन भर जारी रहा। सुबह भगवान को पंचामृत से अभिषेक कर उनका अलौकिक श्रंगार किया गया। जिसके बाद उन्हें भोग अर्पण किया गया। शाम को भगवान विष्णु के शालिग्राम रूप से तुलसी विवाह संपन्न हुआ। जिसके पश्चात दीपदान किया गया। मंगलवार से सभी मांगलिक कार्य-विवाह, मुंडन, गृह-प्रवेश, उपनयन संस्कार इत्यादि प्रारंभ हुए।

इसलिए भी मनाई जाती है देवउठनी एकादशी

ज्योतिषाचार्य पंडित बनवारी लाल शर्मा के बताए अनुसार भगवान विष्णु भगवान शंखासुर दैत्य का वध करने के बाद चार महीने के लिए योग निद्रा में चले गए थे। चार महीने बाद देवउठनी एकादशी पर भगवान विष्णु को जगाया गया और फिर से सृष्टि चलाने की जिम्मेदारी उन्हें सौंपी गई। इसलिए भगवान विष्णु के जागते ही मांगलिक कार्य फिर से प्रारंभ हो जाते है।

विष्णु के जागते ही होता है उनका तुलसी माता के साथ विवाह

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार देवउठनी एकादशी पर भगवान विष्णु के जागते ही उनका तुलसी विवाह करवाया जाता है। जिसके पश्चात उन्हे सात्विक चीजों का भोग लगाया जाता है। ऐसा माना जाता है कि भगवान विष्णु तुलसी दल के बिना किसी भी भोग को स्वीकार नहीं करते । इसलिए तुलसी दल के साथ ही उन्हें भोग अर्पण किया जाता है।

माता लक्ष्मी की पूजा करने का भी विशेष महत्व

देवउठनी एकादशी पर्व पर तुलसी विवाह के अलावा माता लक्ष्मी की पूजा करने का भी विशेष महत्व है। इस दिन तीर्थ स्नान ,दान पुण्य करने के साथ ही दीपदान करने की भी परंपरा है। बताया जाता है कि इस दिन धर्म-कर्म करने से कभी नहीं खत्म होने वाला पुण्य मिलता है। पंचांग तिथि के अनुसार कार्तिक माह में आगामी दिनों में त्रयोदशी ,बैकुंठ चतुर्दशी और कार्तिक पूर्णिमा पर्व भी मनाया जाएगा। इन तीनों तिथियों में दीपदान करने से भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी जी की विशेष कृपा मिलती है।

सर्वार्थ सिद्धि योग में प्रारम्भ हुए मांगलिक कार्य

देवउठनी एकादशी पर कई शुभ योगों का निर्माण हुआ है। जो कि मांगलिक कार्य के लिए अति उत्तम माना जा रहा है। देवउठनी एकादशी पर 6 शुभ योगों में मांगलिक कार्य प्रारंभ हुए है। ऐसा माना जा रहा है कि इन शुभ योगों ने किए गए मांगलिक कार्य से हर मनोकामनाएं पूर्ण होती है।

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सर्वार्थ सिद्धि योग में किसी भी प्रकार के नए कार्य जैसे व्यापार की शुरुआत करना, शादी विवाह करना,,नई नौकरी की शुरुआत करना, पूजा.पाठ करना शुभ फल देने वाले होते हैं। ऐसा माना जाता है कि सर्वार्थ सिद्धि योग में किया गया कोई भी कार्य निश्चित रूप से सफल होता है। देवउठनी एकादशी मंगलवार सुबह 7 बजकर 52 मिनट से प्रारंभ होकर बुधवार 5 बजकर 40 मिनट तक रहेगी। वैदिक शास्त्रों के अनुसार इन श्रेष्ठ मुहूर्त में मांगलिक कार्य करने से विशेष लाभ मिलता है। देवों के जागते ही आज से प्रदेशभर में शादियों का सीजन शुरू हो गया है। बताया जा रहा है कि प्रदेश में देवउठनी एकादशी पर्व प 40र हजार से अधिक शादियां हुई।

देवउठनी एकादशी पर अबूझ सावे की रही धूम

देवउठनी एकादशी के अबूझ सावे पर छोटीकाशी में विवाह सहित मांगलिक आयोजनों की धूम रही। बड़ी संख्या में एकल और सामूहिक विवाह हुए। इसमें सैंकड़ों की संख्या में जोड़े परिणय सूत्र में बंधे। मैरिज गार्डन, सामुदायिक केन्द्र, बैंक्वेट हॉल शादी की रस्मों से गुलजार रहे। शहर में एक अलग सी रौनक दिखी। शाम को बैंड-बाजा-बारात का शौर रहा। राजधानी के सभी प्रमुख मार्ग से बाराते निकली।

माली (सैनी) समाज के 14वां सामूहिक विवाह सम्मेलन में 24 जोड़े बंधे परिणय सूत्र में

देवउठनी एकादशी पर जयसिंहपुरा खोर स्थित तेजाजी मंदिर प्रांगण में माली (सैनी) समाज विकास सेवा समिति की ओर से 14वां सामूहिक विवाह सम्मेलन का आयोजन किया गया। विवाह सम्मेलन में 24 जोड़े परिणय सूत्र में बंधे। विधायक बालमुकुंद आचार्य ने विवाह सम्मेलन में पहुंचकर वर वधू को आशीर्वाद दिया। जयसिंहपुरा खोर के सुपर बाजार से बारात सजकर ढोल बाजों के साथ तेजाजी महाराज मंदिर प्रांगण में पहुंची। माली सैनी समाज विकास समिति की ओर से बारात का स्वागत किया गया। सम्मेलन में हजारों की संख्या में समाज के लोगों सहित कई गणमान्य लोगों ने शिरकत की। सम्मेलन में आए सभी लोगों ने वर वधू को आशीर्वाद दिया। माली सैनी समाज विकास समिति के विवाह सम्मेलन में वर वधू को जरूरी सामान सहित उपहार भी भेंट किए गए हैं। वर वधू को आशीर्वाद देने के लिए कांग्रेस के जिला अध्यक्ष आर आर तिवारी, पूर्व मंत्री ब्रजकिशोर शर्मा, भाजपा नेता रवि नैयर व भामाशाह आशीर्वाद देने पहुंचे।

राजस्थान ब्राह्मण महासभा के द्वितीय सामूहिक विवाह सम्मेलन में 11 जोड़े की हुई शादी

मानव सेवार्थ चैरिटेबल ट्रस्ट की ओर से मंगलवार को देवउठनी एकादशी पर विद्याधर नगर सेक्टर 4 के राजस्थान ब्राह्मण महासभा परशुराम भवन में द्वितीय सामूहिक विवाह सम्मेलन का आयोजन किया गया। इसमें 11 जोड़े परिणय सूत्र में बंधे। सुबह थाम रोपने के साथ विवाह कार्यक्रमों का शुभारंभ हुआ। जगदीश शर्मा गुरुजी ने बताया कि सेक्टर 4 स्थित श्री शिव हनुमान मंदिर से गाजे बाजे के साथ दूल्हों की निकासी निकाली गई। विभिन्न मार्गों से होते हुए बाराती विवाह स्थल पहुंचे। वरमाला के बाद प्रीतिभोज हुआ। इसके बाद पाणिग्रहण संस्कार हुआ। विद्वानों ने वैदिक पद्धति से विवाह करवाया। अतिथि सम्मान समारोह के बाद आशीर्वाद समारोह हुआ। ट्रस्ट की संस्थापक एवं निदेशक ज्योति गौड़, सचिव डॉ. संजीव गौड़, संयुक्त सचिव प्रदीप बड़ाया, कोषाध्यक्ष राकेश शर्मा सहित अनेक लोगों ने नव दंपती को आशीर्वाद प्रदान किया।

कृष्ण सेवा चैरिटेबल ट्रस्ट का द्वितीय सामूहिक विवाह सम्मेलन संपन्न

श्री कृष्ण सेवा चैरिटेबल ट्रस्ट की ओर से विद्याधर नगर सेक्टर सेक्टर-8 स्थित मां ’वाला-दक्षिण मुखी हनुमान मंदिर में तुलसी विवाह एवं द्वितीय सामूहिक विवाह सम्मेलन हुआ। प्रेमानंद महाराज के शिष्य दाऊजी महाराज के सानिध्य में जरूरतमंद परिवार की एक बेटी परिणय सूत्र में बंधी। समाज ने मिलकर बेटी के हाथ पीले किए। विवाह में कई उपहार भी भेंट किए।

इन दिनों में गूंजेगी शहनाई

देव उठनी एकादशी के बाद 16, 17, 18, 22, 24, 25, 26, 28 और 29 नवंबर को भी विवाह होंगे। इसके बाद दिसंबर में 4, 5, 9, 10, 14 और 15 तारीख को शहनाइयां गूंजेंगी। नवम्बर माह के बाद 9 और 10 दिसंबर को दिन और रात विवाह के लिए उत्तम मुहूर्त उपलब्ध रहेंगे। दिसंबर की 14 तारीख को केवल दिन का समय ही विवाह के लिए अनुकूल है, क्योंकि शाम के बाद खरमास शुरू हो जाएगा, जिसके कारण मांगलिक कार्यों पर रोक लग जाएगी। 16 दिसंबर से सूर्य के धनु राशि में प्रवेश के साथ ही खरमास की शुरुआत हो जाएगी, जो 15 जनवरी 2025 मकर संक्रांति तक रहेगा। इस दौरान मांगलिक कार्यों पर विराम रहेगा। 15 जनवरी को सूर्य के मकर राशि में प्रवेश के साथ ही खरमास समाप्त होगा और फिर से लग्न मुहूर्त की शुरुआत हो जाएगी।

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(Udaipur Kiran)

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