चार माह की निद्रा से जागने के बाद भगवान विष्णु के शालिग्राम स्वरूप से किया जाता है तुलसी विवाह : पंडित हेमंत भट्ट
मुरादाबाद, 12 नवम्बर (Udaipur Kiran) । मुरादाबाद में मंगलवार को देवोत्थान एकादशी का पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। इस अवसर पर विभिन्न मंदिरों में तुलसी शालिगराम विवाह का आयोजन हुआ। प्राचीन श्री दुर्गा मंदिर कोर्ट रोड, शिव शक्ति मंदिर रामगंगा विहार, गीता ज्ञान मंदिर कोठीवाल नगर, अन्नपूर्णा मंदिर साहू मोहल्ला आदि विभिन्न मंदिरों से मंगलवार सुबह बंद बजे के साथ शालिग्राम जी की बारात निकली। बारात में श्रद्धालुओं ने बैंड बाजे की धुनों पर बज रहे भजनों पर नृत्य किया। मंदिर में बारात पहुंचने पर मंदिर समितियां द्वारा उसका स्वागत सत्कार किया गया इसके बाद विधि विधान से भगवान शालिग्राम जी का तुलसी माता के साथ विवाह संपन्न कराया।
सुगम ज्योतिष अनुसंधान केंद्र के संचालक व शिव शक्ति मंदिर के पुरोहित पंडित हेमंत भट्ट ने इस अवसर पर कहा कि हिंदू पंचांग के अनुसार हर वर्ष कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी, जिसे देवउठनी, देवोत्थान और देवप्रबोधिनी के नाम से जाना जाता है तुलसी विवाह का आयोजन किया जाता है। हिंदू धर्म के अनुसार सृष्टि के पालनहार श्रीहरि भगवान विष्णु देवउठनी एकादशी पर चार महीने की अपनी योगनिद्रा से जागते हैं। भगवान विष्णु के जागने पर इस दिन तुलसी विवाह किया जाता है। भगवान विष्णु के शालिग्राम स्वरूप संग तुलसी विवाह विधि-विधान के साथ किया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार देवउठनी एकादशी पर तुलसी विवाह करना बहुत ही शुभ और मंगलकारी माना जाता है। देवउठनी एकादशी पर सृष्टि के पालनहार भगवान विष्णु के शालिग्राम स्वरूप के साथ तुलसी जी का विवाह कराने पर सभी तरह के कष्टों से मुक्ति मिलती और भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
(Udaipur Kiran) / निमित कुमार जयसवाल