जयपुर, 12 नवंबर (Udaipur Kiran) । राजस्थान हाईकोर्ट ने सड़क दुर्घटनाओं में जाने बचाने के उपायों को लेकर राज्य सरकार की ओर से आठ साल से जवाब पेश नहीं करने और सुनवाई के दौरान सरकार का कोई प्रतिनिधि पेश नहीं होने पर नाराजगी जताई है। इसके साथ ही अदालत ने मुख्य सचिव को 27 नवंबर को हाजिर होने के आदेश दिए हैं। अदालत ने कहा कि लगता है कि सरकार इस जैसे गंभीर मुद्दे का समाधान खोजने में विफल रही है। ऐसे में मामले की सुनवाई टालते हुए राज्य सरकार पर एक लाख रुपये का हर्जाना लगाया जाता है। अदालत ने हर्जाना राशि राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण में जमा कराने को कहा है। जस्टिस अशोक कुमार जैन की एकलपीठ ने यह आदेश भरपाई व अन्य की 21 साल से लंबित अपील पर सुनवाई के दौरान दिए।
अदालत ने कहा कि 7 मई, 2015 को जयपुर में फ्लाई ओवर और सड़कों को चौडा करवाने, मुख्य चौराहों और तिराहों का विकास, चारदीवारी में पब्लिक ट्रांसपोर्ट में सुधार, अतिक्रमण हटाने, जेब्रा क्रॉसिंग, पैदल व साइकिल मार्गो का विकास, सड़कों से यातायात में बाधा बने पेड, ट्रांसफार्मर व डेयरी बूथ हटाने सहित 25 बिंदुओं को लेकर विस्तृत दिशा निर्देश दिए थे। कोर्ट ने इन निर्देशों की ओर सरकार का ध्यान दिलाते हुए कहा कि इस मामले में मई, 2015 से सितंबर, 2022 तक महाधिवक्ता पैरवी के लिए हाजिर होते रहे, लेकिन फरवरी, 2024 में कोई हाजिर नहीं हुआ और मार्च में फिर एजी पेश हुए। इसके बाद दो तारीखों पर एएजी पेश हुए, लेकिन फिर कोई नहीं आया। अदालत ने कहा कि आठ साल पुराने निर्देशों की ओर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है, जो गंभीर है। ऐसे में राज्य सरकार की लापरवाही पर जवाब देने के लिए मुख्य सचिव को बुलाना जरूरी है।
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(Udaipur Kiran)