West Bengal

जिला से कोलकाता के तीन अस्पतालों में भटकने के बाद भी बच्चे को नहीं मिला इलाज

मेडिकल

कब शुरू होगी केंद्रीय रेफरल व्यवस्था?

कोलकाता, 12 नवंबर (Udaipur Kiran) । बर्दवान से कोलकाता के तीन अस्पतालों में भटकने के बाद भी गंभीर रूप से घायल एक छोटे बच्चे को इलाज नहीं मिल सका। यह मामला एक बार फिर स्वास्थ्य सुविधाओं और केंद्रीय रेफरल व्यवस्था की आवश्यकता को उजागर करता है। जूनियर डॉक्टर्स फ्रंट द्वारा मरीजों की सुविधा के लिए लंबे समय से केंद्रीय रेफरल व्यवस्था की मांग की जा रही थी, लेकिन इसके अभाव में मरीजों को अब भी इलाज के लिए अस्पतालों के चक्कर लगाने पड़ रहे हैं।

रविवार को बांका के तीन वर्षीय अभिषेक राय अपने घर में खेल रहा था, तभी घर के बाहर खड़े टोटो का चाबी घुमा देने से वह दुर्घटनाग्रस्त हो गया। उसके परिवारवालों के अनुसार, टोटो अचानक चालू हो गया और अभिषेक के ऊपर उलट गया, जिससे उसके कान और सिर पर गंभीर चोटें आईं। अभिषेक के पिता सोमनाथ राय ने बताया कि वह बेटे को लेकर पहले बर्दवान मेडिकल कॉलेज गए, जहां डॉक्टरों ने ऑपरेशन की आवश्यकता बताई, लेकिन उस अस्पताल में ऑपरेशन संभव नहीं था। इसके बाद वे बेटे को लेकर कोलकाता के नील रतन सरकार मेडिकल कॉलेज पहुंचे, जहां सीटी स्कैन के बाद भी बेड की अनुपलब्धता के कारण उन्हें पिजी अस्पताल रेफर कर दिया गया।

पिजी में भी बेड न होने के कारण उन्हें शिशुमंगल और नेशनल मेडिकल कॉलेज ले जाया गया, लेकिन दोनों जगहों पर ऑपरेशन की सुविधा नहीं होने के कारण उन्हें फिर से पिजी लौटना पड़ा। अभिषेक की दादी टगरी राय ने मंगलवार को बताया कि रातभर इंतजार करने के बाद सोमवार को सुबह साढ़े ग्यारह बजे बच्चे को ट्रॉमा केयर की आईसीयू में भर्ती कराया गया। डॉक्टरों के अनुसार अब उसकी हालत स्थिर थी।

हालांकि स्वास्थ्य अधिकारियों का कहना है कि राज्य में केंद्रीय रेफरल व्यवस्था पूरी तरह से लागू नहीं हुई है। राज्य के कार्यकारी स्वास्थ्य शिक्षा निदेशक अनिरुद्ध नियोगी ने बताया कि फिलहाल पायलट प्रोजेक्ट के तहत इस व्यवस्था की कठिनाइयों का आकलन किया जा रहा है, और इन्हें सुधारने के बाद इसे पूर्ण रूप से लागू किया जाएगा।

एसएसकेएम के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि सामान्य स्थिति में बच्चों को इलाज के लिए मना नहीं किया जाता है, लेकिन बेड की कमी के कारण ही इस मामले में उन्हें इंतजार करना पड़ा।

यह घटना स्वास्थ्य सेवाओं की खामियों और रेफरल व्यवस्था की जरूरत पर एक बार फिर ध्यान खींचती है, जिससे गंभीर रूप से घायल मरीजों को समय पर इलाज मिल सके।

(Udaipur Kiran) / ओम पराशर

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