—भोग आरती में विशेष रूप से आवला निर्मित भोग अर्पित
वाराणसी,10 नवम्बर (Udaipur Kiran) । कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की अक्षय नवमी पर रविवार को श्री काशी विश्वनाथ मंदिर में बाबा विशेशर की विशेष पूजा की गई। मध्यान्ह भोग आरती में बाबा को विशेष रूप से आवला निर्मित भोग अर्पित किया गया। साथ ही, श्री काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास के प्रबंधन में संचालित बेनीपुर, सारनाथ स्थित संकट हरण हनुमान मंदिर में भी विशेष आयोजन किया गया।
मंदिर में मातृशक्ति स्वरूप माताओं ने आंवला वृक्ष के नीचे विधिवत पूजा-अर्चना कर भोग तैयार किया। इस अवसर पर श्रद्धालुओं ने श्री विश्वेश्वर महादेव के साथ ही साथ श्री काशी विश्वनाथ धाम स्थित वैष्णव विग्रह श्री सत्यनारायण जी, बद्री नारायण भगवान, बैकुंठ जी और ललिता घाट स्थित पद्मनाभ विष्णु भगवान के भी दर्शन किए। प्रातः काल से ही भारी संख्या में श्रद्धालुओं के आने का क्रम बना रहा। सायंकाल 06 बजे तक लगभग 2 लाख श्रद्धालुओं ने मंदिर में दर्शन पूजन कर लिया।
मंदिर न्यास के अनुसार अक्षय नवमी का पर्व विशेष रूप से ऊर्जा, समृद्धि और सुख-शांति के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है। यह दिन विशेष रूप से भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की पूजा का दिन माना जाता है। सनातन धर्म में अक्षय नवमी पर्व का अत्यधिक महत्व है, और इसे अत्यंत श्रद्धा भाव से मनाया जाता है।
आवला, जिसे आयुर्वेद में अमृत समान माना जाता है, इस दिन विशेष रूप से भगवान के भोग के रूप में अर्पित किया गया। आंवला स्वास्थ्य, समृद्धि, और ज्ञान का प्रतीक है। श्री काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास ने इस अवसर पर बाबा विश्वनाथ के चरणों में आंवला अर्पित कर देशवासियों के सुख-समृद्धि की कामना की। भगवान विश्वेश्वर की भोग आरती में आंवला भोग के अतिरिक्त भगवान अविमुक्तेश्वर के महारुद्राभिषेक एवं आंवला प्रसादम के साथ आरती भी संपन्न की गई। महारुद्राभिषेक में यजमान की भूमिका में मुख्य कार्यपालक अधिकारी विश्व भूषण सहित अन्य श्रद्धालुजन एवं महानिर्वाणी अखाड़ा से आए संत उपस्थित रहे।
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(Udaipur Kiran) / श्रीधर त्रिपाठी