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बस्तर संभाग में ऐसा पहली बार हुआ जब ग्रामीणाें ने सीएसबी कैंप हटाने का किया विरोध, स्थगित हुआ कैंप हटाने का प्रस्ताव

रात भर धरना स्थल पर  डटे रहे ग्रामीण

-ग्रामीणों के विरोध के बाद उनकी आशंकाओं को देखते हुए कैंप को हटाने का प्रस्ताव फिलहाल स्थगित कर दिया गया है : कांकेर एसपी

कांकेर, 10 नवंबर (Udaipur Kiran) । बस्तर संभाग के नक्सल इलाकों में अक्सर सीएसबी कैंप खुलने का विरोध होता आया है। गांव के लोग फोर्स के आने के खिलाफ खड़े होते रहे हैं, लेकिन ऐसा पहली बार हो रहा है जब पुलिस ने लोहत्तर थाना क्षेत्र के दुर्गुकोंदल ब्लॉक के जाड़ेकुर्से गांव में लगे सीएसबी कैंप को हटाने की कार्रवाई शुरू की तो 12 गांव के ग्रामीण कैंप हटाने के विरोध में उसका घेराव कर धरने पर बैठ गये। इससे पहले जिस भी गांव में कैंप लगाया जाता था, तो ग्रामीण कैंप लगाने का विरोध करते थे। ग्रामीण रात भर अपने घर नहीं लौटे और धरना स्थल पर ही डटे रहे, ग्रामीण चाहते हैं कि कैंप बंद न हो।

ग्रामीणों का कहना है कि सीएसबी कैंप हटने से गांव में फिर नक्सली हावी हो सकते हैं। इसके बाद पुलिस प्रशासन ने ग्रामीणाें की सुरक्षा काे ध्यान में रखते हुए कैंप को हटाने का प्रस्ताव फिलहाल स्थगित कर दिया है। इस संबंध में कांकेर एसपी इंदिरा कल्याण एलसेला ने बताया कि ग्रामीणों की सुरक्षा की जिम्मेदारी हमारी है, ग्रामीणों के विरोध के बाद उनकी आशंकाओं को देखते हुए कैंप को हटाने का प्रस्ताव फिलहाल स्थगित कर दिया गया है। आगे जैसी भी व्यवस्था होगी, इस कैंप को वहीं बनाए रखा जा सकता है या फिर इसकी जगह कोई अन्य बटालियन काे जिम्मेदारी देने के बाद इसे स्थांतरित करने पर विचार किया जाएगा।

ग्रामीणों का कहना है कि सीएसबी कैंप हटने से गांव का विकास फिर रुक जाएगा। ग्रामीणों ने सुरक्षाबल से कैंप नही हटाने की मांग की है। कैंप हटाने के विरोध में करीब 12 गांव के ग्रामीण प्रदर्शन पर बैठ गये। पहले तो आईजी और पुलिस प्रशासन के आश्वासन के बाद सभी वापस लौट गए। इसके बाद शनिवार को सुरक्षाबल जाने की तैयारी को लेकर ट्रकों में सामान लोड कर रहे थे। यह देख जवानों को रोकने ग्रामीण फिर धरने पर बैठ गए। रात भर ग्रामीण ठंड के बीच अलाव जलाकर धरने पर बैठे रहे। ग्रामीण संतोष ने बताया कि शनिवार शाम को कैंप हटाने जेसीबी लाया जा रहा था। सूचना मिलते ही ग्रामीण फिर धरने पर बैठे हैं, उन्हाेंने कहा कि जब तक हमें लिखित आदेश नहीं मिल जाता, तब तक धरने पर बैठे रहेंगे। क्योंकि अब भी नक्सलियों से खतरा बना हुआ है। अंदर के गांवों में नक्सली आते हैं, कैंप हटते ही नक्सली वापस गांव में घुस आएंगे।

गांव वालों का कहना है कि 4 साल पहले इलाके से एक सहायक आरक्षक गायब हुआ था, अब तक नहीं मिला है। गांव वालों को आशंका है, उसे नक्सली उठा ले गए। गांव वालाें का कहना है कि पहले नक्सली जनअदालत लगाकर लोगों की पिटाई करते थे। ग्रामीणों का कहना है कि अब कैंप लगने के बाद ग्रामीण शांति से रहने लगे हैं। ग्रामीणों के बच्चे पढ़ाई भी करने लगे। अब हर घर से कोई न कोई 12वीं पास कर चुका है। इलाके में सड़क, पुल सहित मूलभूत सुविधाएं ग्रामीणों को मिल रही हैं, कैंप चला जाएगा तो हमें दिक्कत होगी।

कांकेर जिले के दुर्गुकोंदल ब्लॉक का जाड़ेकुर्से गांव जो जिला मुख्यालय से 70 किलोमीटर दूर है। पुलिस ने वहां पर लगे सीएसबी कैंप तो हटाने का फैसला लिया था। पुलिस का कहना है कि लंबे समय से गांव में जवानों की मौजूदगी और लगातर किए गए सर्च ऑपरेशन के चलते अब इस गांव में नक्सलियों का प्रभाव खत्म हो गया है, तो यहां पर कैंप की जरूरत नहीं है।

उल्लेखनीय है कि दुर्गुकोंदल के नक्सल प्रभावित इलाके में 2008 में सीएसबी का कैंप खोला गया था। इस इलाके में नक्सलियों ने कई वारदातों को अंजाम दिया है। कैंप लगने के बाद नक्सल वारदात में कमी आई। अब कैंप को हटाकर दूसरे इलाके में शिफ्ट किया जा रहा था। ग्रामीणाें के विराेध के बाद पुलिस प्रशासन ने फिलहाल सीएसबी कैंप काे हटाने का प्रस्ताव स्थगित कर दिया है।

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(Udaipur Kiran) / राकेश पांडे

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