Uttrakhand

भवसागर की वैतरणी है श्रीमद् भागवत: गौरीशंकर दास

कथा श्रवण कराते कथा व्यास

हरिद्वार, 10 नवंबर (Udaipur Kiran) । श्री बनखंडी साधुबेला पीठाधीश्वर आचार्य स्वामी गौरीशंकर दास महाराज ने कहा है कि श्रीमद् भागवत कथा भवसागर की वैतरणी है। यह व्यक्ति के मन से मृत्यु का भय मिटाकर उसके कल्याण का मार्ग प्रशस्त करती है। कथा श्रवण करने वाले व्यक्ति के जन्म जन्मांतर के पापों का शमन होता है। जीवन में ज्ञान का प्रकाश होता है। भूपतवाला स्थित साधुबेला आश्रम में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के पांचवें दिन श्रद्धालु भक्तों को कथा का महत्व बताते हुए स्वामी गौरीशंकर दास महाराज ने कहा कि श्रीमद् भागवत कथा सुनने से आध्यात्मिक विकास और भगवान के प्रति भक्ति गहरी होती है। श्रीमद् भागवत कथा सभी वेदों का सार है। इसे सुनने से मनुष्य तृप्त होता है।

कथा व्यास महंत श्रवण मुनि महाराज ने कहा कि श्रीमद् भागवत कथा मनुष्य जीवन को सार्थक बनाती है। जन्म तो हर प्राणी एवं मनुष्य लेता है लेकिन उसे अपने जीवन का अर्थ बोध नहीं होता है। बाल्यावस्था से लेकर मृत्यु तक वह सांसारिक गतिविधियों में ही लिप्त होकर इस अमूल्य जीवन को नश्वर बना देता है। श्रीमद् भागवत ऐसी कथा है जो जीवन के उद्देश्य एवं दिशा को दर्शाती है। इसलिए जहां भी भागवत होती है इसे सुनने मात्र से वहां का संपूर्ण क्षेत्र दुष्ट प्रवृत्तियों से खत्म होकर सकारात्मक उर्जा से सशक्त हो जाता है।

इस अवसर पर स्वामी बलराम मुनी, गोपाल अवस्थी, दीपा अवस्थी, राम शुक्ला, रवि दुबे, चित्रा दुबे, सुनीता तिवारी, राकेश तिवारी, निखिल चंदानी, बबीता चंदानी, गोपाल पुनेठा, विष्णु दत्त पुनेठा, इंदु पंडया, मयंक पंडया, आशुतोष शुक्ला, सोनू शर्मा, सुनील मिश्रा सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु भक्त उपस्थित रहे।

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(Udaipur Kiran) / डॉ.रजनीकांत शुक्ला

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