— यज्ञ के माध्यम से आध्यात्मिक संपदा की भी प्राप्ति होती है: स्वामी देवादित्यानन्द सरस्वती
वाराणसी,10 नवम्बर (Udaipur Kiran) । सम्पूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के वेद विभागीय यज्ञशाला में लगातार 242 दिनों से संवत्सरव्यापी चतुर्वेद स्वाहाकार विश्वकल्याण महायज्ञ चल रहा है। महायज्ञ में दण्डी स्वामी गौ लोकधाम, लुधियाना की ओर से नव दिवसीय श्री विष्णु महायज्ञ भी शुरू हो गया हैं । विष्णु महायज्ञ के तीसरे दिन रविवार को आयोजित कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बिहारी लाल शर्मा ने कहा कि यज्ञ को शास्त्रों में सर्वश्रेष्ठ कर्म कहा गया है। इसकी सुगंध समाज को सुसंगठित कर एक सुव्यवस्था देती है। ऐसा इसलिए, क्योंकि यज्ञ करने वाले अपने आप में दिव्यात्मा होते हैं। यज्ञों के माध्यम से अनेक ऋद्धियां-सिद्धियां प्राप्त की जा सकती हैं।
कुलपति प्रो. शर्मा ने कहा कि यज्ञ मनोकामनाओं को सिद्ध करने वाला होता है। विशेष आकांक्षाओं की पूर्ति के लिए विशेष संकट निवारण के लिए और विशेष शक्तियां अर्जित करने के लिए विशिष्ट विधि-विधान भी भिन्न-भिन्न हैं। यज्ञ भगवान विष्णु का ही अपना स्वरूप है। इसे भुवन का नाभिकेंद्र कहा गया है। महायज्ञ में वर्चुअल जुड़े श्रीमज्जगदगुरु स्वामी देवादित्यानन्द सरस्वती ने कहा कि श्रीमद्भागवत् गीता में भगवान श्रीकृष्ण ने यज्ञ करने वालों को परमगति की प्राप्ति की बात की है। यज्ञ एक अत्यंत ही प्राचीन पद्धति है, जिसे देश के सिद्ध-साधक संतों, विद्वानों और ऋषि-मुनियों ने समय-समय पर लोक कल्याण के लिए करवाया। उन्होंने बताया कि यज्ञ में मुख्यत: अग्निदेव की पूजा की जाती है। भगवान अग्नि प्रमुख देव हैं। हमारे द्वारा दी जाने वाली आहुति को अग्निदेव अन्य देवताओं को प्राप्त कराते हैं, फिर वे ही देव प्रसन्न होकर उन हवियों के बदले कई गुना सुख, समृद्धि और अन्न-धन देते हैं।
यज्ञ के आचार्य डॉ. विजय कुमार शर्मा ने बताया के दो सौ बयालीस दिन से निरन्तर चल रहे इस पवित्र कार्य मे अनेक श्रद्धालुओं का सहयोग प्राप्त हो रहा है। इस अवसर पर विभागाध्यक्ष प्रो. महेन्द्र पाण्डेय ने महाराज जी को धन्यवाद ज्ञापित कर आशीर्वाद लिया। कार्यक्रम में उद्योगपति राजेश कुमार भाटिया, प्रदीप अग्रवाल, जयशंकर शर्मा, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के प्रो. ब्रजभूषण ओझा, विश्वविद्यालय के प्रो. दिनेश कुमार गर्ग, प्रो. रमेश प्रसाद, प्रो. हरिशंकर पाण्डेय, डॉ. ज्ञानेन्द्र सापकोटा आदि भी मौजूद रहे।
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(Udaipur Kiran) / श्रीधर त्रिपाठी