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मुनेश गुर्जर के बाद पूर्व एडिशनल कमिश्नर से बदसलूकी के मामले ने पकड़ा तूल, जा सकती है हेरिटेज उपमहापौर की कुर्सी

निगम

जयपुर, 9 नवंबर (Udaipur Kiran) । हेरिटेज निगम में सियासी विवाद गहराता जा रहा है। पूर्व मेयर मुनेश गुर्जर के खिलाफ भ्रष्टाचार की कार्रवाई के बाद अब निगम के पूर्व एडिशनल कमिश्नर राजेंद्र कुमार वर्मा से बदसलूकी मामले की जांच तेज हो गई है। माणक चौक थाना पुलिस ने एससी – एसटी एक्ट को लेकर पूर्व मेयर मुनेश गुर्जर, डिप्टी मेयर असलम फारूकी समेत नगर निगम के 13 पार्षदों के खिलाफ कार्रवाई की तैयारी शुरू कर दी है। जिसके तहत निगम के तीन पार्षद उम्रदराज, नीरज अग्रवाल और फरीद कुरैशी को नोटिस देकर 13 नवंबर के दिन अनुसन्धान के लिए बुलाया गया है।

गौरतलब है कि नगर निगम के पूर्व एडिशनल कमिश्नर राजेंद्र वर्मा की शिकायत पर पिछले साल जून में माणक चौक थाना पुलिस ने मेयर हेरिटेज मुनेश गुर्जर, उप-महापौर असलम फारुखी, पार्षद उमर दराज, नीरज अग्रवाल, शफीक कुरैशी, सुनिता मावर, राविया, अंजलि, पार्षद पति मोहम्मद अस्तर, आयशा सिद्दीकी, फरीद कुरैशी, फूलचंद, पार्षद के रिश्तेदार शाकिर, मेयर के पति सुशील गुर्जर, बसन्त असवाल के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाई गई थी।

राजेन्द्र कुमार वर्मा ने पुलिस में दर्ज अपनी शिकायत में बंधक बनाने, अपशब्द कहने और धमकाने के आरोप लगाए थे। वर्मा ने कहा है कि 16 जून को वह अपने चैंबर में काम कर रहे थे। इसी दौरान उनके पास मैसेज आया कि मेयर बुला रही हैं। मैंने कहा कि कुछ जरूरी फाइल हैं, उन्हें निपटा दूं, फिर 15 मिनट में आ रहा हूं। 5 मिनट बाद कुछ पार्षद और उनके साथ आए बाहरी लोग चैंबर में घुस आए। मुझसे कहा कि टेंडर की फाइल (बीट पत्रावली) पर हस्ताक्षर क्यों नहीं किए। वे लोग मुझे जबरन चैंबर से उठा कर मेयर के कमरे में ले गए। वहां पर मुनेश गुर्जर ने पार्षदों के सामने अपशब्द कहते हुए बोलीं कि तुम ने बीट की पत्रावली पर साइन क्यों नहीं किए।

राजेन्द्र ने बताया कि उन्हें जबरन मेयर के चैंबर में शाम तक बंधक बनाकर रखा गया। शाम को जब पीएचईडी मंत्री महेश जोशी वहां आए, तो उन्हें सारी बात बताई। जोशी के जाने के बाद भी मेयर पति सुशील गुर्जर और अन्य पार्षदों ने कहा कि तू साइन कर के ही जाएगा। विवाद बढ़ने के बाद शाम करीब सवा सात बजे मंत्री महेश जोशी नगर निगम पहुंचे और दोनों पक्षों को सुना। लेकिन मामला नहीं सुलझ पाया। महेश जोशी के रवाना होने के कुछ देर बाद अतिरिक्त आयुक्त भी पुलिस की मौजूदगी में भारी विरोध के बावजूद नगर निगम मुख्यालय से निकल गए थे।

इस पूरे विवाद पर कांग्रेस से भाजपा में शामिल पार्षद नीरज अग्रवाल ने कहा कि राजेंद्र कुमार वर्मा द्वारा भी बुनियाद आरोप लगाए गए हैं। मैं तो उनकी शक्ल तक नहीं पहचानता हूं, ना ही उनके खिलाफ मैं किसी तरह के आपत्तिजनक शब्दों का इस्तेमाल किया है। वह बेवजह हम सबको फसाने की कोशिश कर रहे हैं। जो पूरी तरह से झूठी साजिश है।

चालान पेश होने पर पार्षदी जाना तय,फिर बन जाएगा बीजेपी का बोर्ड

डीएलबी के पूर्व डायरेक्टर लॉ अशोक सिंह ने बताया कि राजस्थान नगर पालिका अध्यक्ष व उपाध्यक्ष के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव नियम 2017 में स्पष्ट है कि डिप्टी मेयर को हटाने के लिए अविश्वास प्रस्ताव लाया जा सकता है। अगर पहले से ही डिप्टी मेयर के खिलाफ थाने में मामला दर्ज है। तो उसमें चालान पेश होने पर राज्य सरकार अभियोजन स्वीकृति देकर निलंबित कर सकती है। ऐसे में इस पूरे विवाद के बाद अब नगर निगम हेरिटेज में कांग्रेस के मेयर के बाद डिप्टी मेयर की सीट भी जाती नजर आ रही है। क्योंकि नियमों के तहत अगर डिप्टी मेयर असलम फारूकी के खिलाफ सरकार जांच पूरी कर चालान पेश करती है। तो उन्हें पद से बर्खास्त किया जा सकता है। उनके साथ बाकी पार्षदों को भी बर्खास्त किया जा सकता है। जिसके बाद नगर निगम हेरिटेज में बीजेपी का बोर्ड बन जाएगा।

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(Udaipur Kiran) / राजेश

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