लखनऊ, 9 नवंबर (Udaipur Kiran) । गोमती पुस्तक महोत्सव के उद्घाटन अवसर पर बोलते हुए राष्ट्रीय पुस्तक न्यास के निदेशक कर्नल युवराज मलिक ने कहा कि अब उत्तर प्रदेश केवल विकास आधारित अर्थव्यवस्था की ओर ही नहीं बल्कि ज्ञान आधारित अर्थव्यवस्था की ओर भी बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि कथावाचन हमारी परम्परा है। उसे पुन: जीवित करने का विजन हमें आपसे मिला है। कहानी सुनाने की कला केवल एक कला नहीं है एक परम्परा है। यह परम्परा है भारतीय ज्ञान की। यह परम्परा भारतीय मूल्यों की अनकही कहानी की है। यही नहीं यह परम्परा भारतीय इतिहास की संस्कृति की इसके वैभव की भी है। उस परम्परा को पुन: जीवित करना समृद्ध करना हम सबका दायित्व है। उसको हम पुस्तकों के जरिए आगे लेकर चले हैं।
युवराज मलिक ने कहा कि पुस्तकें भारत व राष्ट्र के समाज के आधारस्तम्भ के रूप में इस्तेमाल हों व भारत की राष्ट्र निर्माण की परिकल्पना पुस्तकों के माध्यम से की जाय। दो हजार साल बाद दुनिया के सबसे बड़े विश्वविद्यालय को पुनर्जीवित किया गया। दुनिया के अन्य विश्वविद्यालय बहुत बाद में बने।
एनबीटी के निदेशक ने कहा कि नालंदा के भवन को नष्ट किया जा सकता है, लेकिन उनमें निहित ज्ञान व मूल्यों को कभी नष्ट नहीं किया जा सकता। इसी मिशन को पुस्तक संस्कृति के जरिए हम आगे लेकर जायेंगे। जब एक मां अपने बच्चे को मूल्य व संस्कृति की कहानी सुनाती है तो शिवाजी पैदा होते हैं। जब एक मां अपने बच्चे को शौर्य की कहानियां सुनाती है तो भगत सिंह पैदा होते हैं। जब मूल्यों की बात होती है तो रामकृष्ण परमहंस और चाणक्य, ज्ञान के जरिए राष्ट्र निर्माण की बात बताते हैं तो विवेकानन्द और चन्द्रगुप्त पैदा होते हैं।
युवराज मलिक ने कहा कि हमारा प्रयास है आने वाले समय में गोमती पुस्तक मेले को दुनिया का सबसे बड़ा पुस्तक मेला बनायेंगे। वाराणसी,गोरखपुर,प्रयागराज और आगरा में भी पुस्तक मेला आयोजित होगा। हमारा इतिहास वीरों का इतिहास है। यहां शस्त्र और शास्त्र साथ—साथ चलते हैं। जल्द ही आगरा में शिवाजी फेस्टिवल का आयोजन किया जायेगा।
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(Udaipur Kiran) / बृजनंदन