Uttar Pradesh

राष्ट्रवाद एक ऐसा पवित्र भाव ,जो किसी भी देश के नागरिकों की साझा पहचान को स्थापित करती है: शिव प्रताप शुक्ल

हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल  मार्कण्डेय महादेव धाम में :फोटो बच्चा गुप्ता
गोष्ठी में राज्यपाल

हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल ने मार्कण्डेय महादेव धाम में लगाई हाजिरी

वाराणसी,09 नवम्बर (Udaipur Kiran) । हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ला ने शनिवार को अपनी धर्मपत्नी जानकी शुक्ला के साथ चौबेपुर कैथी स्थित मार्कण्डेय महादेव धाम में हाजिरी लगाई। मंदिर के गर्भगृह में राज्यपाल ने बाबा का जलाभिषेक कर पूजन किया। मंदिर के पुजारी मुन्ना गुरू, लालू गिरि एवं अजय गिरि ने राज्यपाल को दर्शन पूजन कराया।

बीते शुक्रवार को शहर में आए राज्यपाल ने चिरईगांव क्षेत्र के कुकुढ़ा गांव में एक मंदिर का लोकार्पण किया। इस दौरान उन्होंने गांव को साहित्यकार डॉ. रामचन्द्र तिवारी को याद कर उनके योगदान की सराहना की। उन्होंने बताया कि डॉ. तिवारी की लिखी पुस्तकें भारत ही नहीं, बल्कि मॉरीशस, सूरीनाम और इंडोनेशिया जैसे देशों के विश्वविद्यालयों में भी पढ़ाई जा रही हैं। राज्यपाल ने श्री काशी विश्वनाथ दरबार में भी दर्शन पूजन किया। राज्यपाल ने वाराणसी दौरे में ही साहित्यकार नीरजा माधव कृत अर्थात राष्ट्रवाद एवं सृजन का आयतन पुस्तक का विमोचन भी किया। राष्ट्रवाद और विशेष रूप से भारतीय राष्ट्रवाद क्या है इसकी व्यापकता और इतिहास क्या है, इन सब बिंदुओं पर पुस्तक में विस्तार से उल्लेख है। इस अवसर पर राज्यपाल ने कहा कि भारत जैसे देश में सांस्कृतिक, धार्मिक और भाषाई विविधता है। और इसमें एकता स्थापित करने के लिए राष्ट्रवाद की भावना का विकास प्रत्येक नागरिक में होना चाहिए। उन्होंने कहा कि शिक्षालयों में तदनुरूप पाठ्यक्रम होने चाहिए जो विद्यार्थियों में राष्ट्रीयता की भावना का विकास करें। राज्यपाल ने कहा कि भारत की आजादी के बाद से ही कुछ मुट्ठी भर राष्ट्र विरोधी छद्म विचारकों द्वारा राष्ट्रवाद का प्रयोग संकुचित और सीमित अर्थों में किया जाने लगा था। राष्ट्रवाद एक ऐसी अवधारणा है जिसके अनुसार राष्ट्र को सर्वोच्च माना जाता है। राष्ट्रवाद एक ऐसा पवित्र भाव या विचारधारा है जो किसी भी देश के नागरिकों की साझा पहचान को स्थापित करती है। राज्यपाल ने कहा कि राष्ट्रवाद की भावना एक सहजात भावना है जो हमें अन्य नैसर्गिक भावनाओं की तरह उत्तराधिकार में जन्म से ही प्राप्त होती है। हम भारतीय एक देश, एक समाज और एक राष्ट्र में आस्था रखने वाले हैं इसलिए यह एक स्वाभाविक सी आकांक्षा है कि इस देश में एकात्मक शासन व्यवस्था भी हो।

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(Udaipur Kiran) / श्रीधर त्रिपाठी

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