नई दिल्ली, 8 नवंबर (Udaipur Kiran) । विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने शुक्रवार को कहा कि भारत और आसियान एक बड़ी आबादी का प्रतिनिधित्व करते हैं। इनकी बढ़ती मांगें न केवल एक-दूसरे के लिए अवसर हैं बल्कि विश्व अर्थव्यवस्था में बड़ी उत्पादक ताकतें बनने की क्षमता भी रखती हैं।
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शुक्रवार को आसियान-भारत थिंक टैंक नेटवर्क के 8वें गोलमेज सम्मेलन, सिंगापुर में भाग लिया। इसमें जयशंकर ने कहा कि दुनिया आज वैश्वीकरण को नए रुप में देख रही है और इसे इसके उलट नहीं समझा जाना चाहिए। यही वह परिवर्तन है, जिसमें आसियान और भारत को अलग-अलग और एक साथ मिलकर आगे बढ़ाना है। आज अधिक लचीली आपूर्ति श्रृंखलाओं, विश्वसनीय साझेदारों और विविध उत्पादन की तलाश महत्वपूर्ण एजेंडा बन गई है। हमारी साझेदारी की गुणवत्ता इन डोमेन में प्रभावी हो सकती है।
विदेश मंत्री ने कहा कि भारत में वैश्विक क्षमता केंद्रों का प्रसार और विनिर्माण का विस्तार हो रहा है। साथ ही, व्यावसायिक प्रशिक्षण, इंटर्नशिप और शिक्षा क्षेत्र के विस्तार के माध्यम से भारत की प्रतिभा और कौशल की गुणवत्ता बढ़ाने पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। इनमें आसियान और भारत के बीच साझेदारी के अवसर हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने 12 नए औद्योगिक पार्कों की स्थापना की घोषणा की है। इसने बुनियादी ढांचे के निर्माण पर भी दोगुना काम किया है।
दोनों देशों के बीच भागीदारी के क्षेत्रों का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि भारत और आसियान दोनों आज हरित हाइड्रोजन और हरित अमोनिया के मूल्य को समझने पर अधिक ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। हम इलेक्ट्रिक मोबिलिटी, ग्रीन शिपिंग और ग्रीन स्टील के युग की तैयारी कर रहे हैं। इसमें हमारे व्यवसायों को इसके अनुसार समायोजित करना होगा। भारत और आसियान के बीच डिजिटल और ऊर्जा कनेक्टिविटी भी हाल की बातचीत का विषय रही है।
विदेश मंत्री ने हिन्द-प्रशांत में आसियान की केंद्रीयता और एकजुटता का समर्थन किया। उन्होंने कहा कि हम अंतरराष्ट्रीय कानून, नियमों और मानदंडों के सम्मान के बारे में भी स्पष्ट हैं।
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(Udaipur Kiran) / अनूप शर्मा