West Bengal

झाड़ग्राम में डॉक्टर की रहस्यमयी मौत, प्रारंभिक पोस्टमार्टम रिपोर्ट में इंजेक्शन से मौत की आशंका

कोलकाता, 08 नवंबर (Udaipur Kiran) । पश्चिम बंगाल के झाड़ग्राम मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल के वरिष्ठ डॉक्टर दिप्रो भट्टाचार्य की संदिग्ध परिस्थितियों में होटल के कमरे में मौत हो गई थी। गुरुवार दोपहर को उनका शव बरामद किया गया, जिसके बाद पोस्टमार्टम किया गया था। शुक्रवार को आई प्रारंभिक पोस्टमार्टम रिपोर्ट में यह संकेत मिला है कि उनके शरीर में किसी चीज के इंजेक्शन से मौत हो सकती है। बताया जा रहा है कि इस इंजेक्शन से उनके अंगों ने काम करना बंद कर दिया और उनकी मृत्यु हो गई।

राज्य पुलिस के एक अधिकारी के अनुसार, डॉक्टर भट्टाचार्य की मौत के सटीक कारणों की जानकारी विस्तृत पोस्टमार्टम रिपोर्ट के बाद ही स्पष्ट हो पाएगी। अभी यह साफ नहीं है कि इंजेक्शन उन्होंने खुद लगाया या किसी और ने यह किया। प्रारंभिक सबूतों के आधार पर पुलिस को यह मामला आत्महत्या का प्रतीत हो रहा है, क्योंकि मौत से पहले उन्होंने अपनी पत्नी को एक संदेश भेजा था और डॉक्टरों के एक व्हाट्सएप ग्रुप पर एक संदेश पोस्ट किया था।

पुलिस ने इस मामले में अस्वाभाविक मौत का मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। प्रारंभिक जांच में पाया गया है कि डॉक्टर भट्टाचार्य लंबे समय से गंभीर अवसाद से जूझ रहे थे। हालांकि, उनके अवसाद के कारणों का अब तक पता नहीं चल पाया है कि यह व्यक्तिगत थे या पेशेवर समस्याओं के चलते था।

डॉक्टर भट्टाचार्य की मौत ने सनसनी फैला दी है, क्योंकि उन्होंने अपने संदेश में राज्य के मेडिकल कॉलेजों एवं अस्पतालों में व्याप्त धमकी संस्कृति का जिक्र किया था, जिसमें कोलकाता के आर.जी. कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल का भी नाम शामिल है। इस साल अगस्त में इस अस्पताल की एक महिला जूनियर डॉक्टर के साथ हुई ‌ दुष्कर्म और हत्या की घटना के बाद से यह सुर्खियों में है।

अपने संदेश में, उन्होंने कहा कि जब वे आर.जी. कर मेडिकल कॉलेज में जुड़े हुए थे, तब वहां के धमकी संस्कृति के खिलाफ उन्होंने अपनी आवाज उठाई थी। उन्होंने यह भी कहा कि छात्रों में डर फैलाने वाले और भाई-भतीजावाद का समर्थन करने वाले लोग आर.जी. कर के पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष से कम अपराधी नहीं हैं, जो वर्तमान में न्यायिक हिरासत में हैं। डॉक्टर भट्टाचार्य ने यह भी कहा कि ऐसे लोगों की वजह से हजारों युवा डॉक्टरों को अवसाद, चिंता और निराशा का सामना करना पड़ता है।

इस घटना ने राज्य में मेडिकल क्षेत्र में कार्य करने की परिस्थितियों पर एक बार फिर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।

(Udaipur Kiran) / ओम पराशर

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