Uttrakhand

मरने के बाद भी हरिप्रिया की आंखे देखती रहेंगी दुनिया

नेत्र सर्जन डॉ विराज राठी

चम्पावत,07 नवंबर (Udaipur Kiran) । तीलू रौतेली पुरस्कार विजेता व सामाजिक कार्यकर्ता रीता गहतोड़ी की माता हरिप्रिया गहतोड़ी 75 वर्ष की आयु में अनंत ज्योति में विलीन हो गई। संसार से विदा होते समय वह अपनी दोनों आंखें उन लोगों के लिए दान कर गई।

यह जिले की पहली महिला थी जिनके शवदाह से पहले उनकी इच्छा अनुसार दोनों आँखें उपजिला चिकित्सालय के नेत्र सर्जन विराज राठी ने कार्नियां (आंखें) निकाली।

विराज राठी ने हरिप्रिया के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए कहा कि दूसरों के लिए अपने नेत्र देने वाली महिला को हमारा शत-शत प्रणाम। जाते-जाते दृष्टिहीनों को संसार दिखा गई हरिप्रिया। नेत्रदान करने वाली चंपावत जिले की पहली महिला हरिप्रिया गहतोड़ी के कारण और दृष्टिहीनों के लिये संसार देखने के द्वार खुल गए हैं।

नेत्ररोग विशेषज्ञ डॉ विराज राठी ने बताया कि अब स्थानीय स्तर पर नेत्रदान करने वाले किसी भी व्यक्ति के उसकी इच्छा अनुसार शरीर त्यागने के बाद उनकी इच्छानुसार कॉर्निया(आँख) निकालकर उसे सुरक्षित रखना संभव हो गया है। जिसके लिए सीआर मित्तल नेत्रदान केंद्र द्वारा उन्हें सुविधा उपलब्ध की गयी है। जिससे दानदाता के अंतिम संस्कार में देर ना हो। डॉ राठी की इस पहल का लोगों ने स्वागत किया है।

विराज राठी ने हरिप्रिया की तीनों बेटियों रीता ,अंजू , करुणा सहित उनके दामाद कमलेश भट्ट को धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा कि नेत्रदान सबसे बड़ा दान है जिससे लोगों के अंधेरे जीवन में खुशियों का उजाला लौटता है नेत्रदान करने के इच्छुक उनसे लोहाघाट उप जिला चिकित्सालय में संपर्क कर सकते हैं।

(Udaipur Kiran) / राजीव मुरारी

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