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दुर्लभ बीमारी से ग्रसित जुड़वा बच्चों का जन्म

जुड़वा बच्चों का यह देश में संभवत: पहला मामला : प्लास्टिक जैसी स्किन वाले जुड़वा बच्चाें का जन्म

बीकानेर, 7 नवंबर (Udaipur Kiran) । जिले के नाेखा कस्बे में दुर्लभ बीमारी के साथ जुड़वा बच्चों का जन्म हुआ। इनमें एक लड़की और लड़का है। इनकी स्किन प्लास्टिक जैसी है। नाखून की तरह हार्ड होकर चमड़ी फटी हुई है। ये बच्चे हार्लेक्विन-टाइप इचिथोसिस नाम की दुर्लभ बीमारी से पीड़ित हैं। दोनों बच्चों को नोखा में 2 दिन चले इलाज के बाद बीकानेर की पीबीएम अस्पताल लाया गया, जहां इनका इलाज किया जा रहा है।

डॉक्टर्स का कहना है कि हार्लेक्विन-टाइप इचिथोसिस बीमारी के साथ पैदा हुए सिंगल बच्चे पहले भी ट्रीटमेंट के लिए आ चुके हैं। लेकिन, जुड़वा बच्चों का यह देश में संभवत: पहला मामला है। यह बीमारी रेयर डिजीज में आने वाले रोगों में है। पांच लाख में से एक बच्चे में यह आनुवांशिक बीमारी पाई जाती है। डॉक्टरों के अनुसार, जरूरी नहीं कि यह रोग माता-पिता को हो चुका हो। क्रोमोसोम संक्रमित होने से माता-पिता से यह रोग बच्चों में आता है। यानी माता-पिता इसके वाहक तो हैं, लेकिन कौनसी पीढ़ी से यह रोग चला आ रहा है, यह मेडिकल हिस्ट्री के जरिए ही पता लगाया जा सकता है। दोनों बच्चों की जान बचाने के लिए पीबीएम हॉस्पिटल के शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. जीएस तंवर, शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. कविता और चर्म रोग विभाग के डॉक्टरों की टीम लगी है।

डाॅ. जीएस तंवर ने बताया- परिजन गंभीर हालत में बच्चों को लेकर 5 नवंबर को यहां आए थे। इसके बाद से उनका इलाज अस्पताल के एनआईसीयू में किया जा रहा है। हार्लेक्विन-टाइप इचिथोसिस आनुवांशिक बीमारी है, जो 5 लाख बच्चों में से किसी एक को होती है। जुड़वा बच्चों का देश में यह संभवत: पहला मामला है। इस बीमारी के साथ बच्चे डेढ़ साल तक ही जिंदा रह पाते हैं। कई बार 25 साल तक भी… लेकिन, जीवन सरल नहीं होता। पहले साल तक बच्चों की त्वचा लाल रहती है, जोड़ों में सिकुड़न और उनके अंग विकसित होने में देरी होती है। जन्म के समय बच्चों की स्किन से खून का रिसाव भी होता है।

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(Udaipur Kiran) / राजीव

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