श्रीनगर, 07 नवंबर (Udaipur Kiran) । जम्मू-कश्मीर में विपक्षी भाजपा ने गुरुवार को कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि सत्तारूढ़ नेशनल कॉन्फ्रेंस ने विधानसभा की अखंडता से समझौता किया है और देश की संसद के फैसले पर सवाल उठाने वाला प्रस्ताव लाकर लोकतंत्र का मजाक बनाया है।
विशेष दर्जे के प्रस्ताव पर हंगामे के बाद विधानसभा को दिन भर के लिए स्थगित किए जाने के बाद रामनगर से भाजपा विधायक आरएस पठानिया ने संवाददाताओं से कहा कि यह एक धोखा है, एक नाटक है जो जम्मू-कश्मीर के लोगों के साथ किया गया है। उन्होंने कहा कि अनुच्छेद 370 अब इतिहास बन चुका है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि विशेष दर्जे जैसी कोई चीज नहीं है। यह इतना ही सरल है। यह विधानसभा जो पुनर्गठन अधिनियम के तहत एक क़ानून है, संसद और सुप्रीम कोर्ट पर सवाल नहीं उठा सकती। इसका कोई सवाल ही नहीं है।
पठानिया ने कहा कि बुधवार को विधानसभा में ध्वनि मत से पारित किया गया प्रस्ताव कागज़ का एक टुकड़ा, एक रद्दी का टुकड़ा है और भले ही कोई चपरासी या क्लर्क इसे प्राप्त कर ले, वह इसे कूड़ेदान में फेंक देगा। उन्होंने कहा कि एनसी ने सदन की अखंडता से समझौता किया है। उन्होंने संसदीय लोकतंत्र का मज़ाक उड़ाया है। यह दुर्भाग्यपूर्ण है और जम्मू-कश्मीर के लोगों को इस पर ध्यान देने की ज़रूरत है। वे बेनकाब हो चुके हैं। यह (संकल्प) जम्मू-कश्मीर के लोगों के साथ बहुत बड़ा मज़ाक है।
उपमुख्यमंत्री सुरिंदर चौधरी और मंत्री सतीश शर्मा का ज़िक्र करते हुए पठानिया ने कहा कि जम्मू से कुछ जयचंद हैं, लेकिन अब वे बेनकाब हो चुके हैं। विधायक ने कहा कि लोगों को समझ आ गया है कि उन्होंने क्या किया। उन्होंने पाकिस्तान समर्थक और अलगाववादी विचारधारा के आगे घुटने टेक दिए हैं। यह विचारधारा एक धोखा है और इस विचारधारा का कोई कानूनी या संवैधानिक आधार नहीं है। इस विचारधारा के कारण सुरक्षाबलों के जवानों और नागरिकों की हत्या हुई है। जयचंद कन्नौज के 12वीं सदी के राजा थे जिन्हें कुछ ऐतिहासिक विवरणों में भारतीय हितों के साथ विश्वासघात करने वाला बताया गया है।
उन्होंने कहा कि इसका कोई सवाल ही नहीं है। उन्होंने कहा कि विधानसभा में भाजपा विधायकों और मार्शलों के बीच हुई झड़प पर उन्होंने कहा कि इसका दोष स्पीकर अब्दुल रहीम राथर पर है। सदस्यों को विधानसभा के अंदर ऐसे पोस्टर लाने का अधिकार नहीं है। हम जानना चाहते हैं कि स्पीकर ने इसकी अनुमति कैसे दी? सुरक्षा जांच कहां थी? आज जम्मू-कश्मीर में स्थिति ऐसी है कि अगर किसी सदस्य पर कोई संदेह है, तो उसकी तलाशी ली जानी चाहिए, वह कुछ भी अंदर ला सकता है। यह वहीं से शुरू हुआ इसलिए दोष स्पीकर का है। बैनर उनसे छीन लिया जाना चाहिए था। उन्हें भाजपा के सदस्यों की तरह मार्शल द्वारा बाहर निकाल दिया जाना चाहिए था।
भाजपा विधायक लंगेट से अवामी इत्तेहाद पार्टी के विधायक शेख खुर्शीद का जिक्र कर रहे थे जो अनुच्छेद 370 और 35 ए को बहाल करें लिखे बैनर के साथ सदन के वेल में कूद गए थे। उन्होंने कहा कि एनसी विशेष दर्जे की बहाली चाहती है जिसके तहत वह शंकराचार्य (पहाड़ी) का नाम तख्त-ए-सुलेमानी रख सकती है। भाजपा ऐसा कैसे होने दे सकती है? भाजपा इस तरह के कदम या मांग को स्वीकार नहीं करेगी? हम इसका कड़ा विरोध करेंगे। हम तब तक नहीं रुकेंगे जब तक इस तरह के नाटक और राजनीतिक धोखाधड़ी बंद नहीं हो जाती।
चनैनी से भाजपा विधायक बलवंत सिंह मनकोटिया ने पीडीपी, पीपुल्स कॉन्फ्रेंस और अन्य द्वारा पेश किए गए नए प्रस्ताव का जिक्र करते हुए कहा कि यह लोगों का भावनात्मक ब्लैकमेल है। उन्होंने कहा कि हम जम्मू-कश्मीर के लोगों को बेवकूफ नहीं बनने देंगे। हम एनसी, कांग्रेस और कश्मीर केंद्रित पार्टियों को लोगों को भावनात्मक रूप से ब्लैकमेल नहीं करने देंगे। विपक्ष के नेता सुनील शर्मा ने भी खुर्शीद को बैनर लेकर सदन के वेल में आने की अनुमति देने के लिए स्पीकर को दोषी ठहराया।
(Udaipur Kiran) / बलवान सिंह