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मानवता की रक्षा और सम्मान आज विश्व का सबसे महत्वपूर्ण मुद्दा : मौलाना असगर सल्फी

मरकजी अहले हदीस के अध्यक्ष मौलाना असगर मेहदी सल्फी प्रेस क्लब आफ इंडिया में औयोजिस प्रेक कांफ्रेस को संबोधित करते हुए.

नई दिल्ली, 07 नवंबर (Udaipur Kiran) । मरकजी जमीअत अहले हदीस के अमीर (अध्यक्ष) मौलाना असगर अली इमाम सल्फी मेहदी ने कहा है कि आज पूरा विश्व जिस अफरा-तफरी के माहौल से गुजर रहा है, उसमें मानवता की रक्षा करना सबसे महत्वपूर्ण मुद्दा है। उनका कहना है कि सभी धर्मों में मानवता को लेकर बहुत कुछ कहा गया है, लेकिन इस्लाम में इस पर बहुत महत्व दिया गया है।

प्रेस क्लब ऑफ इंडिया में आज पत्रकार वार्ता में मौलाना ने कहा कि इसी संदर्भ में रामलीला मैदान में दो दिवसीय अहले हदीस कॉन्फ्रेंस 9-10 नवंबर को होगी, जिसका विषय मानवता की रक्षा और सम्मान ही रखा गया है। इस सम्मेलन में सऊदी अरब के मक्का में स्थित पवित्र मस्जिद अल-हरम के इमाम शेख अब्दुल्ला अल रहमान अल बुगैन विशेष तौर से भाग लेने के लिए आ रहे हैं। इसके अलावा हमारे देश के सभी धर्म के धर्मगुरु भी इस सम्मेलन में हिस्सा लेंगे और मानवता की रक्षा पर अपने विचार व्यक्त करेंगे। मौलाना ने कहा कि आज हमारे देश में एक खास पक्ष के जरिए नफरत की राजनीति को बढ़ावा दिया जा रहा है।

उन्होंने कहा कि आजकल एक नारा बंटोगे तो कटोगे का दिया जा रहा है। अगर हम इसका सकारात्मक पहलू देखें तो स्वतंत्रता आंदोलन के समय भी अंग्रेजों की गुलामी से देश को आजादी दिलाने के लिए हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाईयों में एकता का नारा दिया गया था। इसी एकता के बल पर आज हम एक स्वतंत्र देश में सांस ले रहे हैं तो इस नारे का नकारात्मक पहलू भूल कर सकारात्मक पहलू पर हमें विचार करना चाहिए। उनका कहना है कि क्रिया की प्रतिक्रिया करने का आज समय नहीं है, क्योंकि इससे हमेशा विवाद को बढ़ावा मिलता है और हमें विवाद से दूर रहना चाहिए। उनका कहना है कि मुस्लिम पर्सनल लॉ में हस्तक्षेप का मामला आज सामने है, लेकिन यह मामला अन्य धर्मों के पर्सनल लॉ में भी हस्तक्षेप का है, जिस पर अन्य धर्मों के लोगों को भी सामने आना चाहिए।

वक्फ संशोधन विधेयक पर उन्होंने कहा कि हमारे देश में वक्फ संपत्तियों के संरक्षण के लिए पहले से ही मजबूत कानून मौजूद हैं, इसलिए हमें नए संशोधन विधेयक की कोई जरूरत महसूस नहीं होती है। इसलिए संसद में लाया गया वक्फ संशोधन विधायक वापस लिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि इस्लाम में हमेशा कठोर कानून होने की बात की जाती है। इस्लामी शरीयत में बलात्कारी को कठोर सजा दिए जाने का प्रावधान है और शायद यही वजह है कि इस्लामी देशों में बलात्कार की घटनाएं बहुत कम होती हैं। हमारे देश में भी इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए कठोर कानून की ही जरूरत है। कठोर कानून बनाकर ही बलात्कार जैसे अपराधों पर काबू पाया जा सकता है।

(Udaipur Kiran) /मोहम्मद ओवैस

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(Udaipur Kiran) / मोहम्मद शहजाद

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