-नैक ए प्लस प्लस और एनआईआरएफ के बाद क्यूएस रैंकिंग यूनिवर्सिटी के लिए अभी तक की बड़ी उपलब्धि
कानपुर, 06 नवम्बर (Udaipur Kiran) । छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय (सीएसजेएमयू) कानपुर लगातार उपलब्धि हासिल कर रहा है। नैक ए प्लस और एनआईआरएफ के बाद बुधवार को प्रतिष्ठित क्यूएस एशिया और क्यूएस साउथ एशिया रैकिंग में पहली बार स्थान प्राप्त किया है। यह उपलब्धि विश्वविद्यालय के इतिहास में पहली बार मिली है। इससे अब ग्लोबल मैप पर विवि की शुरुआत हो गई और इंटरनेशनल एक्सपोजर भी बढ़ेगा।
छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय कानपुर ने प्रतिष्ठित क्यूएस एशिया और क्यूएस साउथ एशिया रैंकिंग में पहली बार स्थान प्राप्त किया। इस पर कुलपति प्रो. विनय कुमार पाठक ने कहा कि सीएसजेएमयू कानपुर को गर्व है कि पहली बार इसे बेहद सम्मानित क्यूएस एशिया और क्यूएस साउथ एशिया रैंकिंग में शामिल किया गया है। 2025 क्यूएस एशिया यूनिवर्सिटी रैंकिंग के अनुसार छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय एशियाई विश्वविद्यालयों में 801-850 बैंड में है। इसके अतिरिक्त सीएसजेएमयू ने दक्षिण एशिया क्षेत्र में 263वां स्थान प्राप्त किया है। यह रैंकिंग दक्षिण एशियाई संस्थानों में विश्वविद्यालय की स्थिति को दर्शाती है और इसे इस प्रतिस्पर्धी क्षेत्रीय रैंकिंग में एक नए प्रतिभागी के रुप में मान्यता देती है। यह उपलब्धि विश्वविद्यालय के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है, जो उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा, प्रभावशाली शोध और भारत व उससे परे समुदाय सेवा के प्रति इसकी प्रतिबद्धता को दर्शाती है।
क्यूएस एशिया और क्यूएस साउथ एशिया रैंकिंग के बारे में
क्यूएस एशिया और साउथ एशिया रैंकिंग दुनिया भर में सबसे सम्मानित विश्वविद्यालय रैंकिंग प्रणालियों में से एक है। इसे वैश्विक संगठन क्यूएस (Quacquarelli Symonds) द्वारा प्रबंधित किया जाता है, जो अकादमिक प्रतिष्ठा, फैकल्टी-छात्र अनुपात, शोध गुणवत्ता और छात्रों की रोजगार क्षमता जैसे महत्वपूर्ण कारकों के आधार पर विश्वविद्यालयों का मूल्यांकन करती है। क्यूएस रैंकिंग एशिया के विश्वविद्यालयों पर ध्यान केंद्रित करती है, जो शिक्षण, शोध, और अंतरराष्ट्रीय भागीदारी में उत्कृष्टता प्राप्त करते हैं। क्यूएस साउथ एशिया रैंकिंग, दक्षिण एशिया के शीर्ष विश्वविद्यालयों को उनके शिक्षा की गुणवत्ता, शोध प्रभाव और सामुदायिक प्रभाव के आधार पर मान्यता देती है। क्यूएस वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग विभिन्न संकेतकों पर आधारित है, जिनमें से प्रत्येक का एक विशिष्ट भार है।
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(Udaipur Kiran) / अजय सिंह