कोलकाता, 06 नवम्बर (Udaipur Kiran) । कलकत्ता हाई कोर्ट की एक डिवीजन बेंच ने बुधवार को पुलिस हिरासत में भाजपा की दो महिला कार्यकर्ताओं पर अत्याचार के आरोपों की सीबीआई जांच कराने के एकल पीठ के आदेश को बरकरार रखा।
मामला तब शुरू हुआ जब तृणमूल कांग्रेस के महासचिव और लोकसभा सांसद अभिषेक बनर्जी की बेटी के बारे में कथित रूप से अपमानजनक टिप्पणियां करने के आरोप में इन दो महिला कार्यकर्ताओं को राज्य पुलिस ने गिरफ्तार किया था। हिरासत के दौरान पुलिस द्वारा उनके साथ शारीरिक दुर्व्यवहार का आरोप लगाते हुए इन दोनों महिलाओं ने न्यायमूर्ति राजर्शि भारद्वाज की एकल पीठ का दरवाजा खटखटाया था।
आठ अक्टूबर को न्यायमूर्ति भारद्वाज ने इस मामले में सीबीआई जांच का आदेश दिया था और राज्य पुलिस के इस कृत्य को अस्वीकार्य करार दिया था। इसके बाद, पश्चिम बंगाल सरकार ने इस आदेश के खिलाफ चीफ जस्टिस टी.एस. शिवगणनम और जस्टिस हिरनमय भट्टाचार्य की डिवीजन बेंच में अपील की थी।
हालांकि, बुधवार को डिवीजन बेंच ने चिकित्सा रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि रिपोर्ट में स्पष्ट रूप से महिलाओं पर शारीरिक आघात की बात सामने आई है और इसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। बेंच ने स्पष्ट किया कि सीबीआई जांच जारी रहेगी और राज्य सरकार का कर्तव्य है कि यह सुनिश्चित करे कि सभी कानूनी प्रावधानों के अनुसार कार्रवाई हो रही है।
राज्य सरकार की ओर से मामले की पैरवी करते हुए एडवोकेट जनरल किशोर दत्ता ने तर्क दिया कि एकल पीठ ने सिर्फ एक दिन में ही मामले की सुनवाई कर सीबीआई जांच का आदेश कैसे दे दिया। उन्होंने राज्य पुलिस पर लगाए गए हिरासत में अत्याचार के आरोपों को भी खारिज किया।
हालांकि, डिवीजन बेंच ने उनके इस तर्क को खारिज करते हुए सवाल किया कि अगर राज्य सरकार को पुलिस की भूमिका पर इतना भरोसा है, तो वह सीबीआई जांच का विरोध क्यों कर रही है? बेंच ने यह भी कहा कि अदालत को इन महिलाओं की गिरफ्तारी को लेकर भी गंभीर सवाल हैं।
(Udaipur Kiran) / ओम पराशर