– धरती आबा जनजातीय ग्राम उत्कर्ष अभियान के तहत बनेंगे जनजातीय ग्रामीण हाट बाजार
भोपाल, 6 नवम्बर (Udaipur Kiran) । जनजातीय कार्य, लोक परिसम्पत्ति प्रबंधन तथा भोपाल गैस त्रासदी राहत एवं पुर्नवास मंत्री डॉ. कुंवर विजय शाह ने कहा है कि देश के सभी जनजातीय बहुल गांवों के समग्र विकास एवं जनजातियों को देश में हो रहे चहुंमुखी विकास के प्रकाश का लाभ देने के लिये केन्द्र सरकार द्वारा धरती आबा जनजातीय ग्राम उत्कर्ष अभियान चलाया जा रहा है। इस अभियान में प्रदेश के 51 जिलों के 267 विकासखंडों में स्थित 11 हजार 377 जनजातीय बहुल गांवों का संर्वागीण विकास किया जायेगा। इन 51 जिलों में 43 जनजातीय समुदायों के 18 लाख 58 हजार परिवार निवास करते हैं, जिनकी कुल 93 लाख 23 हजार आबादी इस अभियान से सीधे तौर पर लाभान्वित होगी।
जनजातीय कार्य मंत्री डॉ. शाह ने कहा है कि अभियान में केन्द्र सरकार द्वारा देशभर में 100 ट्रायबल मल्टी-पर्पज मार्केटिंग सेंटर्स (टीएमएमसी) या कहें ‘जनजातीय ग्रामीण हाट बाजार’ तैयार करने की योजना है। इसमें ‘पहले आयें-पहले पायें’ की तर्ज पर केन्द्रीय जनजातीय कार्य मंत्रालय को जिस राज्य व केन्द्र शासित प्रदेश से सबसे पहले प्रस्ताव मिलेंगे, उन्हें प्राथमिकता से यह टीएमएमसी आवंटित किये जायेंगे। उन्होंने बताया कि मध्यप्रदेश सरकार ने इस दिशा में त्वरित एवं प्रगतिशील कदम उठाते हुए केन्द्रीय जनजातीय कार्य मंत्रालय के सचिव को वित्त वर्ष 2024-25 में प्रदेश के 19 जिलों में एक-एक टीएमएमसी स्थापित करने का अधिकृत प्रस्ताव भेज दिया है।
जनजातीय कार्य विभाग के प्रमुख सचिव डॉ. ई. रमेश कुमार ने बुधवार को बताया कि धरती आबा जनजातीय ग्राम उत्कर्ष अभियान में राज्य सरकार की ओर से केन्द्र सरकार को प्रदेश के 19 जिलों में एक-एक टीएमएमसी (जनजातीय ग्रामीण हाट बाजार) स्थापना के लिये विधिवत् प्रस्ताव भेज दिया गया है। प्रस्ताव के अनुसार 19 जिलों में यह टीएमएमसी एक-एक करोड़ रूपये लागत से लगभग 2000 स्क्वायर मीटर लैंड एरिया में बनाये जायेंगे, जिसका बिल्ट-अप लैंड एरिया करीब 367.80 स्क्वायर मीटर होगा।
प्रमुख सचिव डॉ. कुमार ने बताया कि यह टीएमएमसी राज्य सरकार के जनजातीय कार्य विभाग द्वारा संचालित किये जायेंगे। टीएमएमसी की स्थापना के लिये धनराशि केन्द्रीय जनजातीय कार्य मंत्रालय द्वारा उपलब्ध कराई जायेगी। टीएमएमसी में जनजातियों की पुरातन कला, संस्कृति के प्रतीक, शिल्पकारी, चित्रकारी, खिलौने, मिट्टी व बांस से निर्मित उत्पाद आदि का विक्रय भी किया जायेगा। इससे जनजातीय समुदाय को आजीविका के नये साधन मुहैया होंगे और इन्हें अतिरिक्त आय उपार्जन भी हो सकेगा। टीएमएमसी स्थापना का मुख्य उद्देश्य जनजातियों द्वारा एकत्रित की जाने वाली लघु वनोपजों व गैर लघु वनोपजों का एक ही छत के नीचे प्रदर्शन, इनकी गुणवत्ता संवर्धन एवं इन वनोपजों के विक्रय के लिये जनजातीय बंधुओं को स्थायी प्लेटफार्म उपलब्ध कराना है। इससे जनजातियों की आजीविका में तेजी से सुधार के साथ इन्हें अपने स्व-निर्मित उत्पादों के प्रमोशन के लिये स्थानीय स्तर पर आऊटलेट की सुविधा भी उपलब्ध होगी। इसके अलावा इन टीएमएमसी की स्थापना से जनजातीय वर्ग के किसानों की फसल लगाने से पूर्व एवं उपज के उपरांत मौसमी हानियों को भी बेहद कम किया जा सकेगा।
(Udaipur Kiran) / उम्मेद सिंह रावत