Haryana

हिसार: मेटीरियल साइंस की आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एंड मशीन लर्निंग में अहम भूमिका : प्रो. नरसी राम बिश्नोई

कार्यशाला का उद्घाटन करते मुख्यातिथि कुलपति प्रो. नरसी राम बिश्नोई।

गुजवि में अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन से पूर्व विभाग ने किया प्री कार्यशाला का आयोजन

हिसार, 6 नवंबर (Udaipur Kiran) । गुरु जम्भेश्वर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. नरसी राम बिश्नोई ने कहा है कि प्रेडिक्टिव मॉडलिंग इन मेटीरियल साइंस में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एंड मशीन लर्निंग के उपयोग से प्रौद्योगिकी के भविष्य को आकार मिलेगा। इससे इस क्षेत्र में शोध के नए अवसर प्राप्त होंगे।

कुलपति प्रो. नरसी राम बिश्नोई बुधवार को भौतिकी विभाग एवं इंडियन एसोसिएशन ऑफ फिजिक्स टीचर्स (आईएपीटी) के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित प्री-कॉन्फ्रेंस को संबोधित कर रहे थे। विश्वविद्यालय के चौधरी रणबीर सिंह सभागार के सत्येन्द्रा नाथ बोस हॉल में ‘प्रेडिक्टिव मॉडलिंग इन मेटीरियल साइंस यूजिंग आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एंड मशीन लर्निंग’ विषय पर आयोजित इस प्री-कॉन्फ्रेंस कार्यशाला में अनेक वक्ताओं ने विचार रखे। प्री कार्यशाला का आयोजन भौतिकी विभाग के सौजन्य से 7 से 9 नवम्बर तक यहां होने वाले ‘इमर्जिंग मेटीरियल्स एंड क्वांटम फोटोनिक्स’ अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन (आईसीईएमक्यूपी-2024) के संबंध में किया गया। उन्होंने दीप प्रज्ज्वलित करके कार्यशाला का उद्घाटन किया। उन्होंने भौतिकी विभाग को इस आयोजन के लिए शुभकामनाएं दी तथा कहा कि यह कार्यशाला उभरती हुई सामग्रियों एवं क्वांटम फोटोनिक्स के विशेषज्ञों के ऐसे विविध समूह को एक मंच पर लाकर महत्वपूर्ण क्षेत्रों के बारे में नए विचारों और अनुप्रयोगों को प्रेरित करेगी। उन्होंने कहा कि मेटीरियल साइंस की आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एंड मशीन लर्निंग में अहम भूमिका है। प्रतिभागी तकनीकी भविष्य को आकार देने में इमर्जिंग मेटीरियल्स एंड क्वांटम फोटोनिक्स की परिवर्तनकारी क्षमता का पता लगाएंगे।

आईआईटी मंडी, हिमाचल प्रदेश से प्रो. आरती कश्यप ने विशेष वक्ता के तौर पर अपने संबोधन में सर्वप्रथम विश्वविद्यालय के स्वच्छ एवं सुंदर परिसर की सराहना की। उन्होंने कहा कि कार्यशाला का विषय वर्तमान परिदृश्य में अत्यंत महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि फिजिक्स को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एंड मशीन लर्निंग के साथ कैसे जोड़ा जा सकता है। उन्होंने कहा कि मानवता की भलाई के लिए हम आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का उपयोग कर सकते हैं। इस तकनीक से सामग्री को एकत्र व प्रबंधन करके विश्लेषण किया जा सकता है, जिससे हम श्रेष्ठ परिणाम प्राप्त कर सकते हैं। हम डेनसिटी फंक्शनल थ्योरी (डीएफटी), मशीन लर्निंग (एमएल) और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) की मदद से जटिल समस्याओं को हल कर सकते हैं।

कुलसचिव प्रो. विनोद छोकर ने कहा कि वर्तमान समय में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एंड मशीन लर्निंग सभी के जीवन को छू रही है। इस क्षेत्र में पर्यावरण के अनुकूल तकनीकी समाधान हासिल करने की क्षमता है। उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र में अपार संभावनाएं हैं। उन्होंने प्रतिभागियों को इस क्षेत्र में शोध करके विश्व की चुनौतियों का समाधान करने के लिए प्रेरित किया। डा. हरदेव सिंह ने सभी का धन्यवाद किया। इस अवसर पर संकायों के अधिष्ठाता, विभागाध्यक्ष, स्टाफ सदस्य, शोधार्थी एवं विद्यार्थी उपस्थित रहे। कार्यक्रम में डीन फैकल्टी ऑफ फिजिकल साइंसिज एंड टेक्नोलॉजी प्रो. सुजाता सांघी, भौतिकी विभाग के अध्यक्ष एवं संयोजक प्रो. आशीष अग्रवाल व आयोजन सचिव डा. हरदेव सिंह उपस्थित रहे।

(Udaipur Kiran) / राजेश्वर

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