कोलकाता, 6 नवम्बर (Udaipur Kiran) । कलकत्ता हाई कोर्ट ने बुधवार को पश्चिम बंगाल सरकार को निर्देश दिया कि वह त्योहारों के दौरान सभी इलाकों में शांति बनाए रखने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाए। कोर्ट ने कहा कि यह राज्य की जिम्मेदारी है कि लोग त्योहारों को उत्साहपूर्वक मना सकें और कोई बाधा न हो।
मुख्य न्यायाधीश टी एस शिवगणनम की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने पश्चिम बंगाल विधानसभा में विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई के दौरान यह निर्देश दिया। अधिकारी ने याचिका में आरोप लगाया कि काली पूजा के एक दिन बाद राजाबाजार और नारकेलडांगा क्षेत्र में तनाव उत्पन्न हुआ, जहां भीड़ ने कुछ लोगों पर हमला किया।
राज्य की ओर से पेश हुए महाधिवक्ता किशोर दत्ता ने अदालत में कहा कि अलग-अलग समुदायों के लोगों के बीच झगड़े का आरोप बेबुनियाद है। उन्होंने बताया कि दो व्यक्तियों के बीच हुई झड़प के कारण कानून-व्यवस्था की स्थिति बिगड़ी, जिसमें कुछ पुलिस अधिकारी घायल हुए और इस घटना से जुड़े कम से कम छह एफआईआर दर्ज किए गए हैं। दत्ता ने बताया कि इस मामले में 23 लोगों को गिरफ्तार किया गया है।
खंडपीठ, जिसमें न्यायमूर्ति हिरण्मय भट्टाचार्य भी शामिल हैं, ने राज्य को निर्देश दिया कि वह 18 नवंबर तक एक हलफनामे के रूप में रिपोर्ट दाखिल करे, और याचिकाकर्ता को 21 नवंबर तक अपना जवाब दाखिल करने को कहा, जब इस मामले की पुनः सुनवाई होगी।
अदालत ने राज्य को यह निर्देश भी दिया कि वह इस बीच हर संभव प्रयास करे ताकि सभी इलाकों में, विशेष रूप से याचिका में बताए गए क्षेत्र में, शांति सुनिश्चित की जा सके। कोर्ट ने यह भी कहा कि यह त्योहारों का समय है और छठ पूजा के बाद चंदननगर, हुगली में जगद्धात्री पूजा का आयोजन होगा।
याचिकाकर्ता शुभेंदु अधिकारी ने यह भी आरोप लगाया कि कुछ स्थानों पर दुर्गा पूजा पंडालों और मूर्तियों पर हमले किए गए, जिससे देश की सुरक्षा और एकता को खतरा पहुंचाने की कोशिश की गई। उन्होंने घटना की जांच राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) को सौंपने की मांग की।
अधिकारी के वकील बिल्वदल भट्टाचार्य ने अदालत में बताया कि पुलिस का कहना है कि नारकेलडांगा की घटना को लेकर सोशल मीडिया पर गलत जानकारी फैलाने की कोशिश की गई और यह आरोप भी गलत है कि काली मूर्ति विसर्जन जुलूस पर हमला किया गया।
(Udaipur Kiran) / ओम पराशर