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सीआरपीसी नहीं बीएनएसएस के तहत सुनी जानी चाहिए सोलंकी की अपील

इलाहाबाद हाईकोर्ट

-सरकार की आपत्ति के बाद हाईकोर्ट ने दोनों पक्षों को संशोधन दाखिल करने का समय दिया

-सपा के पूर्व विधायक इरफान सोलंकी व अन्य की जमानत पर सुनवाई अब 6 नवम्बर को

प्रयागराज, 05 नवम्बर (Udaipur Kiran) । कानपुर की सीसामऊ सीट से समाजवादी पार्टी के पूर्व विधायक इरफान सोलंकी और उनके भाई रिजवान सोलंकी की सजा के खिलाफ अपील व ज़मानत पर सुनवाई दंड प्रकिया संहिता (सीआरपीसी) के तहत नहीं बल्कि नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) के प्रावधानों के तहत होनी चाहिए।

मंगलवार को मामले की सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल ने कोर्ट के समक्ष यह आपत्ति उठाई। इस पर कोर्ट ने दोनों पक्षों को संशोधन अर्जी दाखिल करने का निर्देश दिया है। मामले की सुनवाई अब 6 नवम्बर को होगी। कोर्ट ने अपीलार्थी व राज्य सरकार के अधिवक्ताओं को अमेंडमेंट एप्लीकेशन दाखिल करने का समय दिया है। अपील नए कानून बीएनएनएस के तहत नहीं दाखिल की गई थी।

मालूम हो कि इरफान सोलंकी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर जल्दी सुनवाई की मांग की थी। सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट को जमानत अर्जी पर 10 दिन के भीतर सुनवाई का निर्देश दिया था। आदेश के परिपेक्ष्य में हाइकोर्ट लिस्टिंग एप्लीकेशन डाली गई जिस पर सुनवाई के बाद न्यायमूर्ति राजीव गुप्ता और न्यायमूर्ति सुरेंद्र सिंह की पीठ ने सुनवाई के लिए पांच नवम्बर की तिथि नियत की थी। सुनवाई के दौरान मनीष गोयल ने आपत्ति की, कि मामला सीआरपीसी के तहत दाखिल है। जबकि इसे नए कानून बीएनएसएस के तहत दाखिल किया जाना चाहिए। क्योंकि एक जुलाई 2024 से नया कानून प्रभाव में आ चुका है।

सोलंकी बंधुओं को कानपुर की एक महिला का घर जलाने के केस में अदालत ने सात साल कैद की सजा सुनाई गई है, जिसे उन्होंने अपील में चुनौती दी है। सात साल कैद की सजा को उम्रकैद में तब्दील करने की मांग में राज्य सरकार ने भी शासकीय अपील दाखिल की है। इरफान व अन्य ने सजा के विरुद्ध अपील के लंबित रहने के दौरान ज़मानत पर रिहा करने की मांग की है।

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(Udaipur Kiran) / रामानंद पांडे

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