नई दिल्ली, 05 नवंबर (Udaipur Kiran) । दिल्ली हाई कोर्ट ने उस याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया, जिसमें दिल्ली नगर निगम के पार्षदों का फंड एक करोड़ रुपये से बढ़ाकर 15 करोड़ करने के लिए संबंधित प्राधिकारों को निर्देश देने की मांग की गई थी। सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस मनमोहन की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि हम खुद हाई कोर्ट के लिए फंड मिलने को लेकर संघर्ष कर रहे हैं। ऐसे में हम आपको फंड बढ़ाने का आदेश कैसे दे सकते हैं। कोर्ट ने याचिकाकर्ता को
उचित प्राधिकार के पास जाने की सलाह दी।
यह याचिका दक्षिण पूर्वी दिल्ली के सिद्धार्थनगर वार्ड से भाजपा पार्षद सोनाली ने दायर की थी। याचिकाकर्ता की ओर से वकील शलभ गुप्ता और प्राची गुप्ता ने कहा कि दिल्ली नगर निगम के पार्षदों के लिए अपर्याप्त फंडिंग की वजह से उन्हें अपने कर्तव्यों को पूरा करने में बाधा आ रही है। इसकी वजह से जरूरी सार्वजनिक सेवाओं में गिरावट हो रही है। याचिका में कहा गया था कि अपर्याप्त फंड के अभाव में नगर निगम की ओर से संचालित स्कूलों पर बुरा असर पड़ रहा है। नगर निगम के स्कूलों में इंफ्रास्ट्रक्टर, सफाई इत्यादि पर असर पड़ रहा है। ऐसा होना शिक्षा के अधिकार और संविधान के अनुच्छेद 21ए का उल्लंघन है।
याचिका में कहा गया था कि फंड की कमी की वजह से पार्कों में पानी की कमी हो रही है, जिससे हरियाली को बनाए रखना मुश्किल हो रहा है। फंड की कमी की वजह से डिस्पेंसरी, आउटडोर जिम और कम्युनिटी सेंटर में रखरखाव का काम ढंग से नहीं हो पा रहा है। आज सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने कहा कि आप दिल्ली नगर निगम में अपनी बात रखिए।
(Udaipur Kiran) /संजय
(Udaipur Kiran) / सुनीत निगम