जम्मू, 2 नवंबर (Udaipur Kiran) । कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की षष्ठी को सूर्य षष्ठी का व्रत करने का विधान है। सूर्य षष्ठी व्रत के विषय में श्री कैलख ज्योतिष एवं वैदिक संस्थान ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत रोहित शास्त्री ज्योतिषाचार्य ने बताया इस पर्व को कई नामों से जाना जाता है जैसे छठ पूजा, छठ, छठी माई की पूजा, छठ पर्व, डाला पूजा, और सूर्य षष्ठी व्रत आदि। छठ पूजा के दिन माता छठी की पूजा की जाती हैं । जिन्हें सूर्य देव की पत्नी ( ऊषा ) कहा गया है,षष्ठी स्त्रीलिंग होने के नाते से भी छठी मैया कहा जाता है,जबकि इस दिन सूर्य देवता की पूजा का महत्व पुराणों में निकलता हैं,इस वर्ष कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की षष्ठी उदयव्यापिनी तिथि 07 नवम्बर गुरुवार को है,यह पर्व चार दिन चलता है,इस व्रत में भगवान सूर्य की पूजा की जाती है और अस्त गामी एवं उदित होते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है और पूजा की जाती है।
इस वर्ष 05 नवम्बर मंगलवार को नहाय-खाय से छठ व्रत का आरंभ होगा है अगले दिन 6 नवम्बर बुधवार को खरना और 7 नवम्बर गुरुवार षष्ठी तिथि को मुख्य छठ पूजन किया जाएगा और अगले दिन 8 नवम्बर शुक्रवार को छठ पर्व के व्रत का पारणा किया जाएगा।
यह व्रत बड़े नियम व निष्ठा से किया जाता है। इसमें तीन दिन के कठोर उपवास का विधान है। इस व्रत को करने वाली स्त्रियों को पंचमी को एक बार नमक रहित भोजन करना पड़ता है। षष्ठी को निर्जल रहकर व्रत करना पड़ता है। षष्ठी को अस्त होते हुए सूरज को विधिपूर्वक पूजा करके अर्घ्य देते है। सप्तमी के दिन प्रातकाल नदी या तालाब पर जाकर स्नान करना होता है। सूर्य उदय होते ही अर्घ्य देकर जल ग्रहण करके व्रत को खोलना होता है। इस व्रत में प्रसाद मांग कर खाने का विधान है।
स्कंद पुराण के अनुसार कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी को एक बार भोजन करना चाहिए तत्पश्चात प्रातः काल व्रत का संकल्प लेते हुए संपूर्ण दिन निराहार रहना चाहिए। किसी नदी या सरोवर के किनारे जाकर फल, पुष्प, घर के बनाए पकवान, नैवेद्यए धूप और दीप, आदि से भगवान का पूजन करना चाहिए। लाल चंदन और लाल पुष्प भगवान सूर्य की पूजा में विशेष रूप से रखने चाहिए और अंत में ताम्र पात्र में शुद्ध जल लेकर के उस पर रोली, पुष्प, और अक्षत डालकर उन्हें अर्घ्य देना चाहिए। यह पूजन चार दिन चलता है छठ पूजा 4 दिनों की होती है।
(Udaipur Kiran) / राहुल शर्मा