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स्कूल में मना दिवाली उत्सव: परंपरा और साझेदारी की भावना

स्कूल में दिवाली का उत्सव: परंपरा और साझेदारी की भावना
स्कूल में दिवाली का उत्सव: परंपरा और साझेदारी की भावना
स्कूल में दिवाली का उत्सव: परंपरा और साझेदारी की भावना
स्कूल में दिवाली का उत्सव: परंपरा और साझेदारी की भावना

गुवाहाटी,30 अक्टूबर (Udaipur Kiran) । दिवाली, जिसे रोशनी का त्योहार कहा जाता है, भारत के लोगों के दिलों में एक खास स्थान रखती है। यह अंधकार पर प्रकाश, अज्ञानता पर ज्ञान और बुराई पर अच्छाई की जीत का उत्सव है। छात्रों को इस महत्वपूर्ण त्योहार का महत्व समझाने के लिए कामरूप (ग्रामीण) जिला के आर्यन इंटरनेशनल स्कूल में बुधवार को दिवाली का उत्सव मनाया गया।

शिक्षकों और छात्रों ने उत्सव की भावना को अपनाते हुए, दिवाली से जुड़ी समृद्ध परंपराओं का जश्न मनाया। शिक्षकों ने दिवाली के आध्यात्मिक महत्व को समझाकर कार्यक्रम की शुरुआत की। उन्होंने छात्रों को बताया कि दिवाली केवल रोशनी और पटाखों का त्योहार नहीं है; यह आशा, प्रेम और करुणा का प्रतीक है।

दीपावली का विचार – दीपों की माला – नकारात्मकता को दूर करके जीवन को प्रकाश और सकारात्मकता से भरने का संदेश देता है। इस उत्सव का एक मुख्य आकर्षण दीया सजाने की गतिविधि थी। बच्चों ने उत्साहपूर्वक दिए रंग-बिरंगे रंगों से दीये सजाए और उन पर चमक लगाई, जिससे हर दीया खास बन गया।

कई छात्र, जो पारंपरिक कला से गहराई से जुड़े परिवारों से आते हैं, अपने घरों से बनाए हुए दिए लाए। कामरूप (ग्रामीण) जिले में दीया बनाने की कला अभी भी एक प्रिय परंपरा है, जिसे दादा-दादी द्वारा पीढ़ियों से संजोकर रखा गया है। एक मार्मिक क्षण तब आया जब कक्षा 2 के एक छात्र ने बताया कि उसकी दादी ने दिए बनाए थे, और वह उनमें से दो दीये स्कूल लेकर आया था। साझेदारी की भावना में, उसने एक दीया अपने मित्र को उपहार में दिया, जो दिवाली के सच्चे अर्थ को दर्शाता है।

यह छोटा लेकिन दिल छू लेने वाला इशारा यह दिखाता है कि दिवाली उत्सव से अधिक है; यह लोगों को करीब लाने और खुशी फैलाने का त्योहार है। इस यादगार दिन ने सभी के दिलों को कृतज्ञता से भर दिया और दिवाली के सच्चे संदेश की नई समझ दी। इस उत्सव के माध्यम से, छात्रों और शिक्षकों ने वह गर्मजोशी और एकता महसूस की जिसने दिवाली को वास्तव में खास बना दिया।

(Udaipur Kiran) / देबजानी पतिकर

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