-राष्ट्रीय हस्तशिल्प एवं सांस्कृतिक उत्सव
झज्जर, 27 अक्टूबर (Udaipur Kiran) । बहादुरगढ़ में चल राष्ट्रीय हस्तशिल्प एवं सांस्कृतिक उत्सव हस्तशिल्प और दूसरी कलाओं के प्रेमियों के लिए खास अवसर बना हुआ है। यहाँ आने वालों को बड़े शिल्पियों से मिलने और उसकी कृतियाँ देखने और खरीदने का अवसर मिल रहा है। इतना ही नहीं, मेले में आए राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त शिल्पी मेले में आने वाले कला प्रेमियों को निशुल्क प्रशिक्षण दे रहे हैं। रविवार को छुट्टी के दिन लोगों की बहुत भीड़ रही। शाम को लोगों ने सांस्कृतिक कार्यक्रम का आनंद लिया।
राजस्थान के जयपुर से पधारे नेशनल अवार्डी चित्रकार हनुमान सैनी अपने स्टाल में ही छात्र छात्राओं को मिनिएचर पेंटिंग सिखा रहे हैं। रविवार को भी काफी विद्यार्थियों ने इसका लाभ उठाया। कितने ही बच्चे इनसे सीख कर इस कला में पारंगत हो चुके हैं। हनुमान सैनी की सह्रदयता देखिए, इन बच्चों के फोन आने पर ये उन्हें ऑन लाइन मार्गदर्शन भी दे देते हैं। वह लगातार कई वर्ष से इस मेले में आ रहे हैं। सैंकड़ों छात्र छात्राओं को इस कला में प्रवीण बना चुके हैं, इन बच्चों व इस कला के प्रेमियों को सैनी के आने की खूब इन्तज़ार रहती है।
बहादुरगढ़ में यह सांस्कृतिक उत्सव 30 अक्टूबर तक चलेगा। उत्सव 30 अक्टूबर को रंगारंग कार्यक्रम के साथ समाप्त होगा। नाबार्ड के सहयोग से प्राचीन हस्तशिल्प कारीगर एसोसिएशन बहादुरगढ़ व रूरल एंड अर्बन डेवलपमेंट एसोसिएशन द्वारा आयोजित इस 10 दिवसीय कार्यक्रम में देशभर से आए शिल्पकार व बुनकर आदि भाग ले रहे हैं। तमिलनाडु से दक्षिण भारतीय साड़ियां, असम का कपड़ा व शिल्प कला, गुजरात का हाथ से बना हुआ कपड़ा, जम्मू कश्मीर व हिमाचल का शॉल, उत्तराखंड का कपड़ा, पंजाब की जूती व फुलकारी सूट, बंगाल की ज्वेलरी, बंगाल का कपड़ा व जूट शिल्प कला, राजस्थान के सांगानेरी प्रिंट व शानदार मिनिएचर पेंटिंग, आदिवासी क्षेत्र से गोंड पेंटिंग, बनारसी साड़ी, लाख की चूड़ियां, उत्तर प्रदेश की पीतल की मूर्तियां, हरियाणा के रेवाड़ी में बने पीतल के बर्तन और हरियाणा व राजस्थान की लकड़ी पर नक्काशी लोगों को खूब लुभा रही है।
महिलाओं के विभिन्न समूहों द्वारा शिल्पकला से बनाई हुई वस्तुएं , दिवाली के अवसर पर मिट्टी के दिये, गणेश लक्ष्मी की प्रतिमाएं व सजावटी सामान भी बिक रहा है। भारतीय किसानों के द्वारा तैयार ऑर्गेनिक उत्पादों को नाबार्ड के इस मेले में खासतौर पर प्रोत्साहन दिया जा रहा है। हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड व जम्मू कश्मीर के किसानों द्वारा ऑर्गेनिक खेती से पैदा किए गए उत्पाद प्रदर्शित किए गए हैं। हिमाचल के परंपरागत व्यंजनों में लोग रुचि दिखा रहे हैं। उज़्बेकिस्तान केे कपड़े, ज्वेलरी, चीनी मिट्टी से बने बर्तन और वहां की पारंपरिक वेशभूषा मुख्य आकर्षण का केंद्र बने हैं। संपूर्ण भारत की शिल्पकला एवं हथकरघा की झलक बहादुरगढ़ के कम्युनिटी सेंटर सेक्टर 6 में देखने को मिल रही है। उत्तर से पूर्व, दक्षिण से पश्चिम, जम्मू कश्मीर से दक्षिण भारत, गुजरात से असम तक की परंपरागत शिल्प कला देखने, खरीदने और समझने का अवसर मिल रहा है।
(Udaipur Kiran) / शील भारद्वाज