ऊना, 26 अक्टूबर (Udaipur Kiran) । केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय की दो सदस्यीय टीम ने विकास खंड बंगाणा के तहत पीपली गांव में स्थित ड्रैगन फल के बगीचे का दौरा किया। टीम में निदेशक डॉ. प्रमोद कुमार और वैज्ञानिक डॉ. प्रवीण कुमार शामिल थे।
दौरे के दौरान टीम ने ड्रैगन फल की खेती में उपयोग किए जा रहे उर्वरकों और उसके रखरखाव के बारे में विस्तृत जानकारी प्राप्त की। उद्यान विभाग के उप निदेशक डॉ. केके भारद्वाज ने बताया कि ड्रैगन फल के बगीचे का रखरखाव ग्रामीण विकास विभाग की नरेगा स्कीम के तहत किया जा रहा है।
डॉ. भारद्वाज ने जानकारी दी कि बागवानी विभाग ने अगस्त 2023 में पीपली के किसानों की 25 कनाल भूमि पर सुपर फ्रूट कहे जाने वाले ड्रैगन फल के ताइवान पिंक किस्म के 3300 पौधों का बगीचा लगाया है। इस परियोजना के अंतर्गत जानवरों की रोकथाम के लिए कम्पोजिट फेंसिंग, सिंचाई के लिए ड्रिप सिंचाई प्रणाली और उच्च गुणवत्ता वाले पौधों की आपूर्ति की गई है।
डॉ. भारद्वाज ने बताया कि ड्रैगन फल अपनी अनूठी बनावट, मीठे स्वाद और उच्च एंटीऑक्सीडेंट गुणों के कारण प्रसिद्ध हो रहा है। यह फल कैल्शियम और आयरन जैसे पोषक तत्वों का समृद्ध स्रोत है, और इसमें वसा, कोलेस्ट्रॉल और सोडियम का स्तर बहुत कम होता है।
उन्होंने कहा कि ड्रैगन फल का पौधा कैक्टस परिवार का सदस्य है और यह 15-20 साल या उससे अधिक समय तक जीवित रह सकता है। इसे 1990 के दशक के अंत में कुछ उष्णकटिबंधीय अमेरिकी देशों से भारत में लाया गया था, और हाल के वर्षों में विभिन्न राज्यों के किसानों ने इसकी खेती को अपनाया है।
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(Udaipur Kiran) शुक्ला