Madhya Pradesh

खाद वितरण केंद्र पहुंचे दिग्विजय सिंह, अधिकारियों की लापरवाही पर हुए नाराज 

दिग्विजय सिंह नानाखेड़ी गल्ला मंडी स्थित खाद वितरण केंद्र पहुंचे

गुना, 26 अक्टूबर (Udaipur Kiran) । पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य दिग्विजय सिंह शनिवार सुबह नानाखेड़ी गल्ला मंडी स्थित खाद वितरण केंद्र पहुंचे। इस दौरान अधिकारियों की अनुपस्थिति पर उन्होंने काफी नाराजगी जताई। यहां उन्होंने किसानों से चर्चा की, तो खाद वितरण व्यवस्था को जाना। दिग्विजय सिंह ने कहा कि आप हमें लाइटली (हल्के में) मत लीजिए। मैं आ रहा हूं, तो आपको पता होना चाहिए। जिम्मेदार अधिकारियों को उपस्थित होना चाहिए। आपकी जवाबदारी नहीं है कि आपके डीएमओ को यहां आना चाहिए।

दरअसल दिग्विजय सिंह शुक्रवार रात गुना पहुंचे थे। शनिवार सुबह सर्किट हाउस में कार्यकर्ताओं से मुलाकात करने के बाद वे नानाखेड़ी स्थित मंडी पहुंचे, जहां उन्होंने किसानों से बातचीत की और प्रशासन की खाद वितरण व्यवस्था की जानकारी ली। लेकिन इस दौरान केवल कृषि विभाग के उप संचालक अशोक उपाध्याय ही मौजूद थे। जबकि खाद वितरण केंद्र प्रभारी और को-आपरेटिव सोसाइटी डिप्टी रजिस्ट्रार नदारद थे। इस पर दिग्विजय सिंह ने अधिकारियों से सवाल किया, जिससे उनकी नाराजगी बढ़ गई। उन्होंने कहा कि “आपकी जवाबदारी है कि डीएमओ साहब को यहां होना चाहिए।” इसके बाद उन्होंने कलेक्टर के साथ अपनी मीटिंग की समयसीमा भी अधिकारियों को याद दिलाई। उन्होंने हाथ जोड़कर कहा कि डीआर से हमारी तरफ से प्रार्थना कर देना कि 11:30 बजे कलेक्टर के साथ मीटिंग है, तो कम से कम वहां समय से आ जाएं।

इसी क्रम में राज्यसभा सदस्य दिग्विजय सिंह ने कृषि उपज मंडी कार्यालय में मीडिया से भी चर्चा की। उन्होंने भाजपा सरकार पर सहकारिता आंदोलन को खत्म करने का आरोप लगाते हुए कहा कि मैं मुख्यमंत्री था, तब सौ फीसद खाद का वितरण समितियों से होता था। जबकि वर्तमान में यह मात्र 40 प्रतिशत हो गया है। इससे किसानों को समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। जो किसान समितियों में ड्यू हैं, उन्हें खाते से खाद देना चाहिए। लेकिन उन्हें भी नकद में खाद दिया जा रहा है, यह अवैधानिक है। पूर्व मुख्यमंत्री सिंह ने कहा कि निजी विक्रेता किसानों को खाद के साथ नैनो यूरिया और दूसरी वस्तुएं भी दे रहे हैं। जबकि वर्ष 2022 में ही कृषि मंत्रालय इसे गलत बता चुका है। कृषि विभाग ने स्पष्ट निर्देश दिए थे कि खाद के साथ दूसरी चीज नहीं दी जानी चाहिए लेकिन निजी विक्रेता ऐसा कर रहे हैं। इस वजह से किसानों को 1200 रुपये की खाद दो हजार रुपये तक पड़कर लागत बढ़ रही है। बुधनी और श्योपुर में खाद की अधिक आपूर्ति पर टिप्पणी करते हुए उन्होंने कहा कि चुनावी क्षेत्रों में खाद का कोटा बढ़ाया जाता है, जबकि अन्य स्थानों पर इसकी कमी कर दी जाती है। यह पूरी तरह से राजनीति से प्रेरित है।

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(Udaipur Kiran) / नेहा पांडे

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