लखनऊ, 25 अक्टूबर
(Udaipur Kiran) । उप्र की नौ विधानसभा सीटों पर कांग्रेस ने अंतत: एक भी उम्मीदवार न उतारकर
सपा को समर्थन करने का दाव चला है। इससे यदि समाजवादी पार्टी उप चुनाव में हार जाती
है तो अगले विधानसभा चुनाव में अधिकतम सीटों के लिए कांग्रेस दबाव बना पाएगी। समाजवादी
पार्टी भी सीटें जीतने के लिए इस समय काफी मेहनत कर रही है, क्योंकि वह भी समझती है
कि इस चुनाव पर बहुत हद तक उसका भविष्य टिका है। उधर भाजपा के लिए भी यह चुनाव काफी
अहमियत रखता है।
यह बता दें कि कांग्रेस
पार्टी विधानसभा उपचुनाव में पहले पांच सीटों की दावेदारी कर रही थी। इसके लिए उसने
लोकसभा चुनाव के बाद ही सभी चुनाव होने वाले दस विधानसभा सीटों पर अपने प्रभारी भी
नियुक्त कर दिये थे। जमीनी स्तर पर भी काफी काम चल रहा था, लेकिन उसके हाथ कुछ नहीं
लगा। बाद में दोनों पार्टियों के बीच जब बात शुरू हुई तो कांग्रेस दो सीटों पर भी मान
गयी, लेकिन दो सीटें अपने मन-माफिक लेना चाहती थी। कांग्रेस की मांग थी कि उसे फुलपुर
और मझवां (मिर्जापुर जिले की सीट) दिया जाय, क्योंकि कांग्रेस को पता है कि यही दो
सीटें हैं, जहां हार भी होती है तो सम्मान जनक उसे वोट मिल जाएगा।
इस मामले में समाजवादी
पार्टी ने कांग्रेस की इच्छा पूरी नहीं की और दोनों सीटों पर पहले ही अपने उम्मीदवार
उतार दिये। इसके बाद समाजवादी पार्टी ने गाजियाबाद और खैर सीट ( अलीगढ़ जिले में) को
कांग्रेस के लिए छोड़ दिया। कांग्रेस जानती है कि वहां पर वह सम्मान जनक वोट भी नहीं
पा सकती। यदि ठीक वोट नहीं मिले तो आने वाले 2027 के विधानसभा चुनाव में सपा के सामने
उसे झुकना पड़ेगा। सपा जितना सीटें देगी उतने पर ही उसको मानने को मजबूर होना पड़ जाएगा।
इस बीच समाजवादी पार्टी
भी कांग्रेस से हरियाणा चुनाव, फिर महाराष्ट्र को लेकर नाराज चल रही है। इसका कारण
है कि बार-बार कहने के बावजूद कांग्रेस ने हरियाणा में सपा के लिए एक सीट भी नहीं दी।
यही नहीं अखिलेश यादव से इस मुद्दे पर कांग्रेस के बड़े नेताओं ने बात करना भी उपयुक्त
नहीं समझा। इस उप्र के उपचुनाव में सपा को इसका भी बदला लेना था और बिना कांग्रेस का
विचार लिये उसने अपने मनमाफिक सीटों पर अपने उम्मीदवार घोषित कर दिये।
इस संबंध
में वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक समीक्षक राजीव रंजन सिंह का कहना है कि कांग्रेस जानती
है, आज उप्र में जो भी है, वह सपा के कारण है। इस कारण वह चाहकर भी सपा को छोड़ नहीं
पाएगी। इस कारण सपा को सपोर्ट करने को तुरंत तैयार हो गयी। इस चुनाव में कांग्रेस भीतर-घात
करने का भी प्रयास कर सकती है, जिससे आने वाले चुनाव में सपा कमजोर दिखे।
वहीं भाजपा के प्रदेश
प्रवक्ता मनीष शुक्ला का कहना है कि यह कांग्रेस और सपा का अंदरूनी मामला है। एक ठग
ने महाठग को ठग लिया। उप्र की सभी सीटों पर भाजपा की विजय होने जा रही है। भविष्य में
जल्द ही कांग्रेस और सपा का ठगबंधन खत्म हो जाएगा, क्योंकि दोनों पार्टियां झूठ पर
आधारित राजनीति करने वाली हैं। झूठ का सहारा लेकर लोगों को बहुत दिनों तक नहीं बरगलाया
जा सकता है।
कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय राय का कहना है कि कांग्रेस ने समर्पण नहीं किया है। यहां की परिस्थितियों को देखते हुए जनहित में समाजवादी पार्टी के उम्मीदवारों को पूर्ण समर्थन करने का फैसला किया गया है। यह यहां के लोगों के हित में फैसला लिया गया है।
(Udaipur Kiran) / उपेन्द्र नाथ राय