जबलपुर, 24 अक्टूबर (Udaipur Kiran) । डीजे की आवाज इस समय कर्णभेदी होने के साथ स्वास्थ्य के लिए जानलेवा हो गयी है। इस जनहित को देखते हुए हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की गई है।
राजनीतिक जुलूस से लेकर धार्मिक आयोजन हों आजकल डीजे को तेज आवाज में बजाने का प्रचलन है। तेज आवाज में डीजे बजने से लोगों के स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है। कभी कभी तो लोगों की मौत तक हो जाती है।
भोपाल में पिछले दिनों डीजे की तेज आवाज से 13 वर्षीय बालक की मौत हो गई थी।
जानकारी के मुताबिक, दुर्गा प्रतिमाओं के विसर्जन के लिए जा रहे चल समारोह में तेज आवाज में डीजे बज रहा था। डीजे की आवाज सुनकर बालक भीड़ में शामिल हो गया और नाचने लगा। तभी अचानक डीजे का साउंड तेज होने पर बालक गिरकर बेहोश हो गया। उसको तुरंत अस्पताल ले जाया गया था जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया था।
अधिवक्ता अमिताभ गुप्ता द्वारा मप्र हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई है। सख्त आदेश की मांग की गई है। याचिका का उद्देश्य उच्च-शक्ति वाले लाउडस्पीकरों की आवाज से लोगों के स्वास्थ्य पर पड़ रहे बुरे असर और बीमारियों से लेकर मौत तक और ध्वनि प्रदूषण सहित साम्प्रदायिक तनाव को रोकने के लिए किया गया है। अधिवक्ता अमिताभ गुप्ता ने ध्वनि प्रदूषण के मानव स्वास्थ्य और सामाजिक ताने-बाने पर पड़ने वाले हानिकारक प्रभावों को उजागर किया है। उन्होंने जोर देकर कहा कि ध्वनि प्रदूषण से सुनने की शक्ति कमजोर होती है। वहीं हृदय संबंधी बीमारियों सहित तनाव और मानसिक स्वास्थ्य पर भी गंभीर असर होता है। इसके अलावा, धार्मिक जुलूसों और समारोहों में उच्च-शक्ति वाले लाउडस्पीकरों का उपयोग अक्सर साम्प्रदायिक दंगों और तनाव की स्थिति उत्पन्न कर सकता है।
याचिका में सुप्रीम कोर्ट और कई उच्च न्यायालयों के उन फैसलों का हवाला दिया गया है, जिनमें ध्वनि प्रदूषण पर नियंत्रण और वैधानिक प्रावधानों के सख्त पालन के निर्देश दिए गए हैं। इसके बावजूद, स्थानीय अधिकारियों द्वारा इस दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाया जा रहा है, जिससे जनजीवन प्रभावित हो रहा है।
याचिका में बताया गया है कि ध्वनि प्रदूषण (विनियमन और नियंत्रण) नियम, 2000, और मध्य प्रदेश कोलाहल नियंत्रण अधिनियम, 1985 के प्रावधानों के बावजूद इन नियमों का सख्ती से पालन नहीं हो रहा है। ये प्रावधान सार्वजनिक स्थानों में ध्वनि की अधिकतम सीमा निर्धारित करते हैं। रात 10 बजे से सुबह 6 बजे तक जोरदार संगीत बजाने पर प्रतिबंध लगाते हैं। बावजूद इसके, अधिकारियों द्वारा कोई प्रभावी कार्रवाई नहीं की जा रही है।
इस मामले में जो राहतों की मांग की गई हैं वे इस प्रकार हैं।
जबलपुर और अन्य जिलों में उच्च- शक्ति वाले लाउडस्पीकरों के उपयोग के उल्लंघनों पर दर्ज मामलों की रिपोर्ट प्रस्तुत करने का आदेश दिया जाए।
धार्मिक जुलूसों में उच्च-शक्ति वाले लाउडस्पीकरों के उपयोग पर रोक लगाई जाए।
75 डेसिबल से अधिक ध्वनि उत्पन्न करने वाले उच्च-शक्ति वाले लाउडस्पीकरों के उपयोग पर तत्काल रोक लगाई जाए।
ऐसे मामलों को संज्ञेय अपराध मानते हुए पुलिस महानिदेशक को कार्रवाई के निर्देश दिए जाएं। याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट से अपेक्षा की है कि वह अपने असाधारण अधिकार क्षेत्र का प्रयोग करते हुए आवश्यक निर्देश जारी करें, ताकि ध्वनि प्रदूषण और साम्प्रदायिक तनाव पर प्रभावी रूप से रोक लगाई जा सके।
उल्लेखनीय है कि जबलपुर हाईकोर्ट में अधिवक्ता आदित्य संघी के द्वारा भी एक याचिका लगाई गई है जो डीजे से ही जुड़ी हुई है। इन याचिकाओं के माध्यम से तेज आवाज से राहत मिलने की उम्मीद है।
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(Udaipur Kiran) / विलोक पाठक