नई दिल्ली, 24 अक्टूबर (Udaipur Kiran) । सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली के रिज क्षेत्र में पेड़ों की कथित कटाई को लेकर दाखिल अवमानना के मामले पर सुनवाई करते हुए दिल्ली के उप राज्यपाल और डीडीए उपाध्यक्ष को नया हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि पेड़ काटे जाने पर कोर्ट यह जानना चाहता है कि आखिर पेड़ काटने की प्रक्रिया कब, कहां, कैसे और किस-किस की इजाजत से आगे बढ़ी।
कोर्ट ने इस बात पर गौर किया कि दिल्ली के उप राज्यपाल और डीडीए उपाध्यक्ष के हलफनामे में अंतर है। ऐसे में पेड़ काटने की प्रक्रिया कब, कहां, कैसे और किस-किस की इजाजत से आगे बढ़ी। उप राज्यपाल ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर अपने बचाव में कहा है कि उन्हें इस बात की जानकारी नहीं थी और ही उन्हें जानकारी दी गई थी कि यहां पेडों की कटाई के लिए सुप्रीम कोर्ट की मंजूरी ज़रूरी है। उप राज्यपाल ने कहा है कि उन्हें कोर्ट की इजाज़त की ज़रूरत का पता 21 मार्च को चला, जबकि पेड़ों को काटने का काम 16 फरवरी से शुरू हो गया था। उप राज्यपाल ने कहा है कि उनकी मंशा किसी तरह से कोर्ट की अवहेलना की नहीं थी। बिना कोर्ट की इजाज़त के जो पेड़ कटने की दुर्भाग्यपूर्ण घटना’ हुई, उसके लिए उन्हें खेद है।
उप राज्यपाल ने बिना कोर्ट की इजाज़त के पेड़ों को काटे जाने का दुर्भाग्यपूर्ण बताया लेकिन साथ ही ये भी कहा कि इसके पीछे मकसद भलाई का था। सेंट्रल आर्म्ड पुलिस फोर्सज इंस्टीयूट ऑफ मेडिकल साइंसेज के लिए सड़क चौड़ी करने के मकसद से पेड़ काटे गए थे। इस प्रोजेक्ट में दो हजार करोड़ का सार्वजनिक कोष पहले ही निवेश किया जा चुका था। प्रोजेक्ट के लिए कुल 642 पेड़ काटे गए, 1100 नहीं जैसा कि कोर्ट को बताया गया है। उप राज्यपाल ने कोर्ट से आग्रह किया है कि डीडीए उपाध्यक्ष सुभाशीष पांडा को अवमानना की कार्रवाई से बरी कर दे। जब पेड़ों को कटाई हुई, वो मेडिकल सर्जरी के चलते छुट्टी पर थे, 12 मार्च से पहले उन्होंने नौकरी ज्वाइन नहीं की थी। इसके लिए जिम्मेदार डीडीए के तीन अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की गई है।
इससे पहले 16 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट ने उप राज्यपाल से हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया था। कोर्ट ने उप राज्यपाल को हलफनामे में ये बताने को कहा था कि क्या उनको जानकारी दी गई थी कि पेड़ों को काटने के लिए सुप्रीम कोर्ट की अनुमति चाहिए। कोर्ट ने कहा था कि अगर उप राज्यपाल को गुमराह किया गया तो जिम्मेदार लोगों पर विभागीय या आपराधिक कार्रवाई करें।
(Udaipur Kiran) /संजय
(Udaipur Kiran) / सुनीत निगम