– दंडात्मक कार्रवाई पर लगाई रोक
प्रयागराज, 24 अक्टूबर (Udaipur Kiran) । इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ब्राह्मण समाज के खिलाफ ऑनलाइन अभद्र सामग्री पोस्ट करने के मामले में जौनपुर के एक वकील को राहत दी है तथा उनके खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई पर रोक लगा दी है। अधिवक्ता ब्राह्मण समुदाय के खिलाफ ऑनलाइन अभद्र सामग्री पोस्ट करने के आरोप में प्राथमिकी का सामना कर रहे हैं।
न्यायमूर्ति अरविंद सिंह सांगवान और न्यायमूर्ति मोहम्मद अजहर हुसैन इदरीसी की पीठ ने मामले को 7 फरवरी, 2025 के लिए सूचीबद्ध करते हुए वकील बरसातू राम सरोज को राहत प्रदान की है। क्योंकि उसने कहा कि इस मामले पर विचार करने की आवश्यकता है।
सरोज ने हाईकोर्ट में एक रिट याचिका दायर कर बीएनएस की धारा 353 (2) और आईटी एक्ट, 2000 की धारा 67 के तहत उनके खिलाफ दर्ज एफआईआर को रद्द करने की मांग की है।
ज्ञात हो कि धारा 353 (2) बीएनएस में, धर्म, जाति, जन्म स्थान, निवास, भाषा, जाति या समुदाय या किसी भी अन्य आधार पर, विभिन्न धार्मिक, नस्लीय, भाषाई या क्षेत्रीय समूहों या जातियों या समुदायों के बीच दुश्मनी, घृणा या दुर्भावना की भावना पैदा करने या बढ़ावा देने के इरादे से, या जिसके पैदा होने या बढ़ावा देने की सम्भावना है। इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों सहित, झूठी सूचना, अफवाह या भयावह समाचार युक्त कोई भी बयान या रिपोर्ट बनाने, प्रकाशित करने या प्रसारित करने के लिए दंड का प्रावधान है।
हाईकोर्ट के समक्ष सरोज के वकील ने दलील दी कि एफआईआर में यह नहीं बताया गया है कि याचिकाकर्ता ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर किस तरह की पोस्ट की है। यह भी दलील दी गई कि एफआईआर में उल्लेख किया गया है कि याचिकाकर्ता को बार एसोसिएशन से निकाल दिया गया था, जिससे साबित होता है कि एफआईआर दुर्भावनापूर्ण इरादे से दर्ज की गई थी।
प्राप्त जानकारी के अनुसार सरोज के खिलाफ दर्ज एफआईआर में आरोप लगाया गया है कि 25 सितम्बर 2024 को उन्होंने अपने सोशल मीडिया आईडी पर ब्राह्मण समुदाय के बारे में ’अभद्र’ टिप्पणी की, जिससे पूरे समुदाय को ठेस पहुंची। एफआईआर में आगे कहा गया है कि उनके खिलाफ उचित धाराओं के तहत मामला दर्ज किया जाना चाहिए ताकि उनकी रोजाना की गाली-गलौज बंद हो सके। एफआईआर सवर्ण सेना के जिलाध्यक्ष प्रवीण तिवारी के कहने पर दर्ज की गई है।
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(Udaipur Kiran) / रामानंद पांडे