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हाईकोर्ट के दखल के बाद हड़ताल समाप्त, रेजीडेंट चिकित्सकों के मुद्दों के लिए कमेटी गठित

कोर्ट

जयपुर, 23 अक्टूबर (Udaipur Kiran) । रेजीडेंट चिकित्सकों की पिछले 16 दिन से चली आ रही हड़ताल राजस्थान हाईकोर्ट के दखल के बाद समाप्त हो गई। वहीं हाईकोर्ट में रेजीडेंट चिकित्सकों की समस्याओं के लिए मेडिकल शिक्षा सचिव की अध्यक्षता में कमेटी गठित करने के आदेश दिए हैं। अदालत ने कमेटी में जॉर्ड की एक महिला रेजीडेंट सहित दो प्रतिनिधियों को भी शामिल करने को कहा है। जस्टिस समीर जैन की एकलपीठ ने यह आदेश प्रकरण में स्वप्रेरित प्रसंज्ञान लेते हुए दिए। अदालत ने कमेटी को कहा है कि वह 26 अक्टूबर को अपनी पहली बैठक करे और उसका ब्यौरा अदालत में पेश किया जाए। अदालत मामले में अब 21 नवंबर को सुनवाई करेगी। अदालत ने राज्य सरकार को कहा कि वह रेजीडेंट के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई ना करे और उन्हें कोई नोटिस आदि दिया गया है तो उसे भी आगामी सुनवाई तक स्थगित किया जाता है। इस दौरान कमेटी के मुखिया होने के नाते चिकित्सा शिक्षा सचिव जनहित में अंतरिम आदेश दे सकते हैं।

यूं चली सुनवाई

समय सुबह 10.30 बजे- अदालत शुरू होने के बाद एक अधिवक्ता पार्थ शर्मा ने अदालत को मौखिक रूप से रेजीडेंट चिकित्सकों की हड़ताल और इससे मरीजों को हो रही परेशानी के बारे में बताया। इसके साथ ही अदालत में इस संबंध में समाचार पत्रों में प्रकाशित खबरों की भी जानकारी दी गई। इस पर अदालत ने मामले में स्वप्रेरणा से प्रसंज्ञान लेते हुए चिकित्सा विभाग के अधिकारियों और जॉर्ड के पदाधिकारियों को 2 बजे तलब किया। इसके साथ ही अदालत ने अधिवक्ता सुरेश साहनी और एसएस होरा को न्याय मित्र बनाया। वहीं अदालत ने अधिवक्ता अजय शुक्ला और अधिवक्ता शोभित तिवाडी को कोर्ट कमिश्नर नियुक्त करते हुए एसएमएस अस्पताल के हालात जानने के लिए भेजा।

समय दोपहर 2.10 बजे- चिकित्सा विभाग के अधिकारी, जॉर्ड प्रतिनिधि और सरकारी वकील अदालत में पहुंचे। इस दौरान अदालत ने कहा कि रेजीडेंट चिकित्सकों की जायज-नाजायज मांगे हो सकती हैं, लेकिन उन्हें दादागिरी से नहीं मनवाया जा सकता। चिकित्सक मरीज की सेवा की शपथ लेते हैं वे डॉक्टर है, बिजनेसमैन नहीं। अदालत ने कहा कि मरीज परेशान हो रहे हैं। हम दोनों पक्षों की मीटिंग करा देते हैं, ताकि समस्या का समाधान हो सके। अदालत ने कहा कि चिकित्सकों की जनता के प्रति जवाबदेही है। आप मोलभाव करते हैं कि हमारी मांगे मानो, वरना हम हड़ताल पर चले जाएंगे। अदालत ने यह भी कहा कि आपकी संस्था पंजीकृत ही नहीं है। उन्हें हड़ताल करने का अधिकार भी नहीं है। यदि किसी मरने वाले एक भी मरीज के परिजनों ने आपराधिक केस कर दिया तो आपको समस्या हो जाएगी। अदालत ने एक बार फिर दोहराया की चिकित्सक त्यागपत्र दे सकता है, लेकिन हड़ताल पर नहीं जा सकता। इस दौरान एक रेजीडेंट ने कहा कि एसएमएस अस्पताल के पास असामाजिक लोगों ने अतिक्रमण कर लिया है और अवैध मादक पदार्थ बेचे जा रहे हैं। इस पर अदालत ने तत्काल स्थानीय थानाधिकारी को बुलाकर इसे रोकने को क

हा। वहीं जार्ड के पदाधिकारियों ने कहा कि उनके सात हजार सदस्य हैं। सुरक्षा, स्टाईपेड सहित कई नीतिगत मुद्दे हैं, जिनका समाधान होना जरूरी है। दूसरी ओर चिकित्सा शिक्षा सचिव अम्बरीष कुमार ने कहा कि रेजीडेंट चिकित्सकों से बातचीत चल रही थी, लेकिन वे बिना बताए हड़ताल पर चले गए। जनता परेशान हो रही है। ऐसे में कानूनी कार्रवाई भी जरूरी है। रेजिडेंट कमेटी को अपनी बात कह सकते हैं और कमेटी संसाधनों के आधार पर उस पर विचार कर लेगी। इस दौरान एसएमएस मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल दीपक माहेश्वरी ने कहा कि मौजूदा स्टाफ स्थिति को संभालने के लिए काफी नहीं है। वहीं वीसी से जुडे प्रमुख सचिव ने बताया कि अंतर विभागीय कमेटी में वित्त और गृह विभाग के अधिकारियों को शामिल किया जा रहा है। इस पर अदालत ने मामले में कमेटी गठन की मंशा जताते हुए मामले की सुनवाई 3.30 बजे तक टाल दी और जॉर्ड के पदाधिकारियों को हड़ताल समाप्त करने पर विचार करने को कहा। अदालत ने उनसे यह भी कहा कि यदि हड़ताल समाप्त नहीं की गई तो अदालत फिर अलग से आदेश देगी।

समय दोपहर 3.30 बजे- अदालत ने कहा कि पुलिस, डॉक्टर काफी मेहनत करते हैं, लेकिन स्वास्थ्य भी मौलिक अधिकार है। चिकित्सकों का पवित्र पेशा है और हड़ताल संविधान के अनुच्छेद 21 के खिलाफ है। चिकित्सकों का काम जीवन बचाना है, उनके हड़ताल की अपेक्षा नहीं की जा सकती। राज्य सरकार की ओर से इस दौरान अदालत को कमेटी गठित करने को लेकर भी जानकारी दी गई। वहीं जॉर्ड के पदाधिकारियों ने कहा कि उन्होंने हड़ताल समाप्त कर दी है और सभी लोगों को कार्य ग्रहण करने को कहा है। इस पर अदालत ने कमेटी को निर्देश देते हुए मामले की सुनवाई 21 नवंबर को तय की है।

इनकी बनी कमेटी- अदालती आदेश पर चिकित्सा शिक्षा सचिव की अध्यक्षता में कमेटी गठित की गई है। जिसमें निदेशक जन स्वास्थ्य, एसएमएस मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल, एएजी जीएस गिल, सरकार की ओर से नामित दो वरिष्ठतम प्रोफेसर और जॉर्ड के दो प्रतिनिधि, जिसमें एक महिला होगी।

सुनवाई के बाद प्रिंसिपल की बिगडी तबीयत- दोपहर 2.10 बजे शुरू हुई सुनवाई करीब पौने तीन बजे तक चली। इसके बाद सारे अधिकारी व सरकारी वकील बाहर गए। इस पर अतिरिक्त महाधिवक्ता विज्ञान शाह ने अधिकारियों को चर्चा के लिए अपने कमरे में बुलाया। एसएमएस मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल के नहीं पहुंचने का कारण पूछने पर अधिकारियों ने बताया कि उनके सीने में बेचैनी के कारण एसएमएस अस्पताल भेजा गया है।

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(Udaipur Kiran)

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