Gujarat

वडोदरा-अहमदाबाद रेलवे रूट पर कवच सिस्टम के वर्जन 4.0 का सफलतापूर्वक ट्रायल

आरएफआईडी, सिगनल, लेवल क्रॉसिंग गेट आदि के स्थानों की सटीक पहचान करने के लिए एलआईडीएआर (लाइट डिटेक्शन एंड रेंजिंग) सर्वेक्षण से संबंधित ग्राफिक्स।

अहमदाबाद, 23 अक्टूबर (Udaipur Kiran) । पश्चिम रेलवे स्वदेशी रूप से विकसित स्वचालित ट्रेन सुरक्षा तकनीक कवच की स्थापना में लगातार आगे बढ़ रहा है, जो ट्रेन सुरक्षा और परिचालन दक्षता को काफी हद तक बढ़ाएगी। वडोदरा-अहमदाबाद सेक्शन ऑटोमेटिक सिगनलिंग सेक्शन पर कवच सिस्टम के वर्जन 4.0 का उपयोग करके लोको ट्रायल सफलतापूर्वक पूरा कर लिया गया है। किसी भी शेष समस्‍याओं को हल करने के लिए आगे के परीक्षण चल रहे हैं। यह सेक्शन करीब 96 किलोमीटर तक फैला है।

पश्चिम रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी विनीत अभिषेक ने बताया कि इसी तरह विरार-सूरत-वडोदरा सेक्शन (ऑटोमेटिक सिगनलिंग सेक्शन) 336 किलोमीटर में, 201 किलोमीटर पर परीक्षण पूरा हो चुका है और शेष हिस्से पर काम प्रगति पर है। वडोदरा-रतलाम-नागदा सेक्शन (गैर ऑटोमेटिक सिगनलिंग सेक्शन) 303 किलोमीटर में, 172 किलोमीटर पर लोको ट्रायल पूरा हो चुका है। 54 किमी तक फैले मुंबई सेंट्रल-विरार उपनगरीय सेक्शन पर टावर का निर्माण और ऑप्टिकल फाइबर केबल (ओएफसी) बिछाने का काम प्रगति पर है। अब तक पश्चिम रेलवे ने महत्वपूर्ण प्रगति हासिल की है। कुल 789 किलोमीटर में से 470 किलोमीटर के लिए लोको परीक्षण सफलतापूर्वक किए गए हैं और 90 में से 60 लोकोमोटिव पहले ही कवच प्रणाली से लैस हो चुके हैं। वित्त वर्ष 2024-25 के लिए पश्चिम रेलवे नेटवर्क के 735 किलोमीटर से अधिक हिस्से में इसकी स्थापना और परीक्षण पूरा करने का लक्ष्‍य रखा गया है।

कवच यह सुनिश्चित करती है कि ट्रेनें अनुमेय गति सीमा के भीतर चलें और गति की रियल टाइम निगरानी प्रदान करती हैं, जिससे लोको पायलटों को नियंत्रण बनाए रखने में मदद मिलती है। यह प्रणाली लोको पायलट के कैब के भीतर सीधे सिगनल पहलुओं और निरंतर गति पर नियंत्रण को प्रदर्शित करके दुर्घटनाओं को रोकने में भी सहायता करती है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि यह ट्रेन की संभावित दुर्घटनाओं को रोकने में एक महत्वपूर्ण भूमिका अदा करती है, जिससे नेटवर्क पर समग्र सुरक्षा में सुधार होता है।

अनुसंधान अभिकल्‍प एवं मानक संगठन द्वारा विकसित, कवच को ट्रेन टकरावों को रोकने, खतरे में सिगनल पासिंग से बचने में लोको पायलटों की सहायता करने और निरंतर गति पर्यवेक्षण सुनिश्चित करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। यह प्रणाली सीईएनईएलईसी के ईएन50126, 50128, 50129 और 50159 (एसआईएल-4) सहित अंतरराष्ट्रीय मानकों का पालन करती है तथा 200 किमी प्रति घंटे तक की गति को समायोजित करने के लिए बनाई गई है।

रेलवे अधिकारी ने बताया कि पहली बार आरएफआईडी, सिगनल, लेवल क्रॉसिंग गेट आदि के स्थानों की सटीक पहचान करने के लिए लाइट डिटेक्शन एंड रेंजिंग सर्वेक्षण किया गया है।ओएफसी बिछाने में तेजी लाने के लिए पश्चिम रेलवे ने हॉरिजेंटल डायरेक्‍शनल ड्रिलिंग की विधि अपनाई है, जो सतह से 3 मीटर नीचे केबल बिछाने में मददगार है। यह विधि पारंपरिक मैनुअल ट्रेंचिंग की तुलना में तेज़ और सुरक्षित दोनों है और आवश्यक समय और श्रम को काफी कम करती है।

—————

(Udaipur Kiran) / बिनोद पाण्डेय

Most Popular

To Top