– उप मुख्यमंत्री ने की एएमबी कार्यक्रम की नोडल शिक्षक ऋतु शुक्ला के नवाचार की सराहना
भोपाल, 23 अक्टूबर (Udaipur Kiran) । उप मुख्यमंत्री राजेन्द्र शुक्ल ने कहा है कि राज्य सरकार सुरक्षित प्रसव सुनिश्चित करने, मातृ मृत्यु दर (एमएमआर) और शिशु मृत्यु दर (आईएमआर) को कम करने के लिए निरंतर प्रयासरत है। स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत बनाने के साथ किशोर स्वास्थ्य पर भी विशेष ध्यान दिया जा रहा है। स्वस्थ किशोर ही कल के स्वस्थ माता-पिता बनेंगे। किशोरावस्था में एनीमिया जैसी समस्याओं का समाधान करना न केवल उनके व्यक्तिगत स्वास्थ्य के लिए, बल्कि समाज में सुरक्षित मातृत्व और समग्र स्वास्थ्य सेवाओं के सुधार के लिए अत्यंत आवश्यक है।
‘एनीमिया मुक्त भारत’ (एएमबी) कार्यक्रम, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अंतर्गत, महत्वपूर्ण पहल है। इसका उद्देश्य समाज को एनीमिया मुक्त बनाना है। इस कार्यक्रम का क्रियान्वयन स्वास्थ्य, शिक्षा, और महिला एवं बाल विकास विभागों के समन्वय से किया जाता है। यह कार्यक्रम प्रदेश में मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य सेवाओं को सुधारने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जो भविष्य में सुरक्षित मातृत्व और बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं के लिए एक मजबूत आधार प्रदान करता है।
एनीमिया मुक्त भारत कार्यक्रम में नोडल शिक्षक ऋतु के उत्कृष्ट कार्य को सराहा
जनसंपक अधिकारी अंकुश मिश्रा ने बुधवार को जानकारी देते हुए बताया कि उप मुख्यमंत्री शुक्ल ने शाहपुर विकासखंड के शासकीय कन्या उच्चतर माध्यमिक विद्यालय, ग्राम भौरा में एनीमिया मुक्त भारत (एएमबी) कार्यक्रम की नोडल शिक्षक, ऋतु शुक्ला के नवाचार की सराहना की है। उन्होंने कहा है कि यह अनुकरणीय प्रयास है। एनीमिया मुक्त भारत (एएमबी) कार्यक्रम का सफल क्रियान्वयन कर सभी छात्राओं को नियमित रूप से आयरन अनुपूरण सुनिश्चित कराकर, एनीमिया मुक्त बनाने के लिये ऐसे समर्पित प्रयास आवश्यक हैं।
जनसंपक अधिकारी ने बताया कि नोडल शिक्षक ऋतू शुक्ला ने कक्षा 9 से 12 तक की 385 बालिकाओं को नियमित रूप से आयरन अनुपूरण कराने और इसका महत्व समझने के लिए छात्राओं की सहभागिता को प्रोत्साहित किया। उन्होंने छात्राओं के सहयोग से एक संरचनात्मक व्यवस्था लागू की है। इसके तहत ‘स्वास्थ्य मंत्री’ के रूप में एक छात्रा, कु. साक्षी यादव (कक्षा 9) का चयन किया गया है, जिसे IFA (आयरन फॉलिक एसिड) गोलियों के वितरण की जिम्मेदारी दी गई है। इस व्यवस्था में अन्य छात्राएं भी सहायक की भूमिका निभाती हैं।
उन्होंने बताया कि ऋतु ने स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों से समन्वय कर तीन माह के लिए पर्याप्त आयरन की गोलियां प्राप्त कीं और उनका एक स्टॉक रजिस्टर तैयार किया। सहायक शिक्षिका श्रीमती सुमन परिहार को कार्यकारी नोडल के रूप में कार्य करती हैं। जिससे अनुपस्थिति में भी यह व्यवस्था सुचारू रूप से चल सके। साथ ही कक्षा शिक्षकों को प्रोत्साहित किया गया कि वे अपनी कक्षा में आयरन अनुपूरण की जानकारी उपस्थिति रजिस्टर में दर्ज करें। यह व्यवस्था विद्यालय में नियमित रूप से आयरन की गोलियों का वितरण और उनका सेवन सुनिश्चित करती है।
व्यवहार परिवर्तन और जागरूकता से पूरा समाज होगा एनीमिया मुक्त
शुक्ला कहती हैं कि एक बालिका यदि आयरन अनुपूरण द्वारा एनीमिया मुक्त होती है, तो वह अपने पिता के घर में यह सन्देश प्रसारित करेगी, साथ ही विवाह पश्चात् आने वाली पीढ़ी के व्यवहार परिवर्तन में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। इस प्रकार शाला की सभी 385 बालिकाओं को एनीमिया मुक्त करने से पूरा समाज एनीमिया मुक्त हो सकता है।
(Udaipur Kiran) / उम्मेद सिंह रावत